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सिविल सेवा परीक्षा टालने की मांग पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी, केंद्र और UPSC को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट कोरोना के चलते सिविल सेवा परीक्षा टालने की मांग पर सुनवाई को राजी हो गया है। कोर्ट ने पहले से ही याचिका की प्रति यूपीएससी और केन्द्र के वकीलों को देने की छूट देते हुए मामले को 28 सितंबर को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 04:04 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:02 PM (IST)
सिविल सेवा परीक्षा टालने की मांग पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी, केंद्र और UPSC को जारी किया नोटिस
नई स्‍थित सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट कोरोना के चलते सिविल सेवा परीक्षा टालने की मांग पर सुनवाई को राजी हो गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पहले से ही याचिका की प्रति यूपीएससी और केन्द्र सरकार के वकीलों को देने की छूट देते हुए मामले को 28 सितंबर को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया है। यूपीएससी के सिविल सेवा परीक्षा के संशोधित कार्यक्रम के मुताबिक प्रारंभिक परीक्षा 4 अक्टूबर को होनी है। फिलहाल परीक्षा टालने की मांग करने वाली यह याचिका गुरुवार को न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी।

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याचिकाकर्ता की ओर से सिविल सेवा परीक्षा दो - तीन महीने टालने का आग्रह करते हुए कहा गया कि तबतक कोरोना महामारी का बढ़ता प्रभाव थोड़ा कम हो जाएगा और मौसम की मार भी कम हो जाएगी। कोर्ट ने याचिका को 28 सिंतबर को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया। साथ ही याचिकाकर्ता को यूपीएससी और केन्द्र सरकार के वकीलों को पहले से ही याचिका की प्रति दे दिए जाने की छूट दी।

सिविल सेवा परीक्षा के 20 अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कोरोना महामारी के चलते सिविल सेवा परीक्षा टालने की मांग की है। कहा गया है कि इस समय देश भर में परीक्षा कराने से कोरोना महामारी के चलते लाखों अभ्यर्थियों का जीवन संकट में फंसेगा। इसके अलावा इस समय मौसम भी ठीक नहीं है। बारिश, बाढ़ और चट्टान खिसकने आदि की घटनाएं हैं ऐसे में यूपीएससी के संशोधित कार्यक्रम की तय तिथि 4 अक्टूबर पर परीक्षा कराना कतई ठीक नहीं है। परीक्षा को दो-तीन महीने के लिए टाल दिया जाए।

यह भी कहा गया है कि सिविल सेवा परीक्षा भर्ती परीक्षा होती है और यह परीक्षा एकेडेमिक परीक्षा से भिन्न है। इसे टाले जाने से अगले शैक्षणिक सत्र के देरी होने या भविष्य का नुकसान होने की बात नहीं होगी। कहा गया है कि कोरोना महामारी के बावजूद यूपीएससी ने परीक्षा केन्द्रों को नहीं बढ़ाया है ऐसे में ग्रामीण इलाकों के बहुत से अभ्यर्थियों को परीक्षा देने के लिए 400-500 किलोमीटर दूर यात्रा करके जाना होगा जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।


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