क्या मुस्लिमों को शिक्षण संस्थानों एवं नौकरियों में आरक्षण देना जायज? सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई
आंध्र सरकार ने मुस्लिमों को साढ़े चार फीसद आरक्षण देने का बिल पारित किया था जिसे हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट अब तय करेगी कि प्रदेश सरकार का ये फैसला कितना जायज?
नई दिल्ली, एजेंसी। आंध्र प्रदेश में मुस्लिमों को शिक्षण संस्थानों एवं नौकरियों में आरक्षण दिए जाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले को सुनेगी। आंध्र सरकार ने मुस्लिमों को साढ़े चार फीसद आरक्षण देने का बिल पारित किया था, जिसे हाईकोर्ट ने अवैध करार दिया। इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
आंध्र प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ सवाल उठाते हुए यह पूछा गया है कि क्या मुसलमानों को एक समुदाय के रूप में संविधान के अनुच्छेद-15 और 16 के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा घोषित किया जा सकता है? बता दें कि मुस्लिम आरक्षण के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई होगी। ये दोनों मामले आज सूचीबद्ध किए जाएंगे और इन पर अंतिम सुनवाई 13 सितंबर को होगी।
भारत में आरक्षण के मुद्दा काफी संवेदनशील रहा है। कई राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए इसका सहारा लेती रही हैं। लेकिन जब मामला कोर्ट में जाता है, तब आरक्षण को लेकर स्थिति साफ होती है। दरअसल, संविधान में यह स्पष्ट है कि कितना और किस आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है। अब आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा मुस्लिमों को दिए गए आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या निर्देश देती है, यह देखना होगा।