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Supreme Court: झारखंड के लीज आवंटन व शेल कंपनी मामले में आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Supreme Court झारखंड के लीज आवंटन व शेल कंपनी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होगी। इस मामले में झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से याचिकाएं दायर की गई है। जिसमें हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है।

By Mohd FaisalEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2022 10:12 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2022 10:12 AM (IST)
Supreme Court: झारखंड के लीज आवंटन व शेल कंपनी मामले में आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
झारखंड के लीज आवंटन व शेल कंपनी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट में आज झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका पर हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट लीज आवंटन व शेल कंपनी मामले में सुनवाई करेगा। इससे पहले मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने झारखंड सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया। उन्होंने कहा था कि 18 जुलाई को अदालत द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद मामलों को तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है और उन्हें अब तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

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झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को दी है चुनौती

झारखंड सरकार ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके सहयोगियों से कथित रूप से संबंधित कंपनियों के संबंध में जनहित याचिका की स्थिरता पर झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है। तीन जून को झारखंड हाई कोर्ट ने सीएम हेमंत सोरेन के लीज आवंटन और शेल कंपनियों में निवेश की जांच को लेकर दाखिल याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था। राज्य सरकार ने शेल कंपनी वाले मामले में और हेमंत सोरेन ने लीज आवंटित करने के मामले में दाखिल याचिका पर आपत्ति जताते हुए सुनवाई योग्य नहीं होने की बात कही थी।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में की थी अहम टिप्पणी

हाई कोर्ट ने आपत्तियों को सिलसिलेवार तरीके से खारिज करते हुए कहा था कि झारखंड उच्च न्यायालय (जनहित याचिका) नियम, 2010 के नियम 4, 4-बी और 5 के अनुसार कुछ आवश्यकताओं का पालन नहीं किया गया है और तत्काल रिट याचिकाओं को अनुरक्षणीय नहीं माना जा सकता है। यह न्यायालय मामले के उपरोक्त पहलुओं पर विचार करने के बाद और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जो मुद्दा रिट याचिका का विषय है। चूंकि इसमें बड़े पैमाने पर जनता के धन की हेराफेरी करने का मुद्दा शामिल है, इसलिए यह न्यायालय रिट याचिका को उचित समझता है।


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