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Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को किया है चैलेंज

ज्ञानवापी परिसर में चल रहे सर्वे को रोकने के मकसद से दायर एक याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। इसमें वाराणसी कोर्ट के आदेश को चैलेंज किया गया है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बैंच करेगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 08:40 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 12:07 PM (IST)
Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को किया है चैलेंज
ज्ञानवापी में चल रहे सर्वे को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट जहां मंगलवार को सिविल कोर्ट में पेश किया जाना है वहीं मामले से जुड़े एक पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर आज ही सुनवाई भी होनी है। बता दें कि सोमवार को हुए सर्वे में ये दावा किया गया है कि वहां कई अहम चीजें मिली हैं जो हिंदुओं के दावे को पुख्‍ता करती है, जिसमें एक शिवलिंग भी शामिल है। यहां के सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है, जिसके बाद परिसर को सील कर दिया गया है। 

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आज सुप्रीम कोर्ट में जिस याचिका पर सुनवाई होनी है उसको अंजुमन मस्जिद कमेटी ने दायर किया है। इसमें  कोर्ट से ज्ञानवापी के सर्वे को रोकने की गुहार लगाई गई है। इस याचिका की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच करेगी। इसके बाद हिंदू सेना ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से हस्‍तक्षेप करने की मांग की है।बता दें कि ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश वाराणसी की कोर्ट ने दिया था। ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के आदेश के बाद से ही इस मामले ने राजनीतिक स्‍तर पर भी हलचल मचा दी है। 

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद थी और रहेगी। उन्‍होंने एक भाषण के दौरान यहां तक कहा था कि वो बाबरी मस्जिद को खो चुके हैं, लेकिन अब ज्ञानवापी को नहीं खोना चाहते हैं। औवेसी का कहना है कि वाराणसी कोर्ट का आदेश अयोध्‍या मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्‍लंघन करता है। इस मामले में एक पक्ष पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 (Places of Worship Act, 1991) के आधार पर दलीलें दे रहा है। इस कानून को 1991 में बनाया गया था। इसके मुताबिक 15 अगस्त 1947 को जो धार्मिक स्थल जिस रूप में मौजूद था वो वैसा ही रहेगा।  


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