Move to Jagran APP

केंद्र के कड़े विरोध के बावजूद राजीव गांधी के हत्यारे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, पिछले 32 सालों से जेल में था कैद

सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के दोषी को जमानत पर रिहा कर दिया है। तत्कालीन पीएम की हत्या के मामले में कुल सात लोग कैद में हैं। जिनमें से एक को जमानत पर रिहा किया गया है। दोषी पिछले 32 सालों से जेल में था।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 09 Mar 2022 03:55 PM (IST)Updated: Wed, 09 Mar 2022 09:39 PM (IST)
केंद्र के कड़े विरोध के बावजूद राजीव गांधी के हत्यारे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, पिछले 32 सालों से जेल में था कैद
राजीव गांधी की हत्या के दोषी को SC से जमानत (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के कड़े विरोध के बावजूद राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी एजी पेरारिवलन को जमानत दे दी है। शीर्ष कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि की शर्तो पर पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया। जमानत के दौरान वह हर महीने के पहले सप्ताह में चेन्नई के नजदीकी थाने में रिपोर्ट करेगा। वह अभी भी पैरोल पर जेल से बाहर है। पेरारिवलन को राजीव गांधी हत्याकांड में फांसी की सजा सुनाई गई थी जिसे देरी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

loksabha election banner

सजा माफ करने के लिए याचिका है दाखिल

पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है, जिसमें सीबीआइ की मल्टी डिसिप्लीनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने की मांग की गई है। बुधवार को जस्टिस एल. नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने पेरारिवलन की याचिका का निपटारा होने तक उसे जमानत देते हुए कहा कि इस बात में कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता दोषी 32 वर्ष का कारावास भुगत चुका है और उसे तीन बार पैरोल पर छोड़ा गया, उस दौरान भी उसके आचरण को लेकर कोई शिकायत नहीं आई।

केंद्र सरकार के कड़े विरोध के बावजूद जमानत

कोर्ट ने लंबी कैद के दौरान उसके आचरण के संबंध में पेश रिकार्ड, उसकी शिक्षा और कारावास के दौरान खराब सेहत को ध्यान में रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार के कड़े विरोध के बावजूद वह जमानत पाने का अधिकारी है। कोर्ट ने कहा कि पेरारिवलन की याचिका पर केंद्र के रुख के आधार पर अगले माह से सुनवाई होगी। केंद्र सरकार ने पेरारिवलन की जमानत का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि वह अभी पैरोल पर है और जेल मैनुअल के हिसाब से उसे पैरोल आदि मिल सकती है, ऐसे में कोर्ट को जमानत नहीं देनी चाहिए। केंद्र की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल ने कहा कि उस पर केंद्रीय कानूनों के तहत मुकदमा चला था और केंद्रीय एजेंसी सीबीआइ ने केस की जांच की और अभियोग चलाया ऐसे में राज्यपाल को माफी देने का अधिकार नहीं है, बल्कि यह अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को है।

पहले ही मिल चुका है माफी का लाभ

केंद्र ने दलील दी कि पेरारिवलन पहले ही माफी का लाभ उठा चुका है, जब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील की थी। अब उसे और राहत का अधिकार नहीं है। पेरारिवलन की दया याचिका पहले तमिलनाडु के राज्यपाल के पास लंबित थी, जिसे उन्होंने यह कहते हुए राष्ट्रपति को भेज दिया था कि उन्हें इस मामले में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। मालूम हो कि तमिलनाडु कैबिनेट ने नौ सितंबर, 2018 को प्रस्ताव पारित कर राजीव गांधी कांड के सातों दोषियों की समयपूर्व रिहाई की सिफारिश की थी। राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव रैली के दौरान महिला आत्मघाती हमलावर धनु ने हत्या कर दी थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.