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हानिकारक पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश का उल्लंघन किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कही यह बात

टाखों पर प्रतिबंध के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कुछ लोगों के रोजगार की कीमत पर दूसरे नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। नागरिकों के जीवन का अधिकार हमारी प्राथमिकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 28 Sep 2021 09:19 PM (IST)Updated: Tue, 28 Sep 2021 09:19 PM (IST)
पटाखों पर प्रतिबंध के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पटाखों पर प्रतिबंध के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कुछ लोगों के रोजगार की कीमत पर दूसरे नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। नागरिकों के जीवन का अधिकार हमारी प्राथमिकता है।

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कोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद पटाखों की लड़ी जलाए जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हर दिन उल्लंघन होता है। हर जुलूस में चाहे वह धार्मिक हो या राजनीतिक या फिर किसी की जीत हो पटाखे की लड़ियां जलाई जाती हैं। मामले में बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि निर्दोष नागरिकों का जीवन का अधिकार हमारी पहली प्राथमिकता है। अगर हम पाते हैं कि ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं और विशेषज्ञ समिति ने उन्हें स्वीकार किया है तो हम उचित आदेश देंगे।

पीठ ने कहा कि हमारे देश की बड़ी समस्या आदेश लागू करने को लेकर है। कानून हैं, लेकिन उनका पालन भी होना चाहिए। कोर्ट के आदेश पूरी तरह और सही ढंग से लागू होने चाहिए। पीठ ने कहा कि हमें रोजगार, बेरोजगारी और नागरिकों के जीवन के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा। कुछ लोगों के रोजगार की कीमत पर हम दूसरे नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दे सकते।

इससे पहले पटाखा निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आत्माराम नंदकर्णी ने कहा कि चार नवंबर को दिवाली है, ऐसे में वह चाहते हैं कि पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी आर्गनाइजेशन (पेसो) पटाखों के मुद्दे पर निर्णय ले। उन्होंने पटाखा निर्माण में लगे लाखों लोगों के रोजगार की दुहाई देते हुए कहा कि इस बारे में सरकार को निर्णय लेना चाहिए।

पटाखों पर प्रतिबंध के आदेश के उल्लंघन पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित अवमानना याचिका पर नंदकर्णी ने कहा कि अवमानना याचिका पर सुनवाई होनी चाहिए और उसे निपटाया जाना चाहिए, लेकिन इसके साथ ही पटाखा निर्माण उद्योग में लगे लाखों लोगों की मुश्किलों पर भी विचार होना चाहिए।

अवमानना अर्जियां दाखिल करने वाले अर्जुन गोपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि प्रदूषण का मुद्दा उठाने वाली यह याचिका 2015 में दाखिल हुई थी, अभी तक कोर्ट ने इस पर बहुत से आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पटाखों के निर्माण में हानिकारक रसायनों जैसे बेरियम आदि के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया था। दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के ट्रांसपोर्टेशन और आनलाइन बिक्री पर भी रोक लगाई थी। कोर्ट ने इस सब पर निगाह रखने की जिम्मेदारी पेसो को दी थी।

शंकर नारायण ने कहा कि कोर्ट के आदेश का खुला उल्लंघन हो रहा है। पटाखों में अभी भी बेरियम का प्रयोग हो रहा है। पटाखों की आनलाइन बिक्री भी हो रही है। कोर्ट ने पटाखों की लड़ी पर भी रोक लगाई थी, लेकिन वह भी चलाई जाती है। इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस कमिश्नर को अनुपालन के लिए जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।

शंकर नारायण ने कहा कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक पेसो सुनिश्चित करेगा कि वहीं पटाखे बिकें जो नियमों के मुताबिक हों। पटाखों के निर्माण आदि के कोर्ट के ज्यादातर निर्देश पूरे देश के लिए हैं। पटाखों की लड़ी पर नंदकर्णी ने कहा कि अब लडि़यां नहीं बनतीं, वे पटाखे होते हैं लोग उन्हें खुद जोड़ लेते हैं। इस पर पीठ ने कहा कि जब एक-एक करके किसी के साथ सौ जुड़ जाएंगी तो उसे संयुक्त ही कहा जाएगा। आप बना क्यों रहे हैं।


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