सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी नियुक्ति में यूपीएससी की भूमिका के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज की
राज्य ने पहले भी इसी तरह का एक आवेदन दायर किया था जिसे खारिज कर दिया गया था। बार-बार एक ही तरह की याचिका दाखिल करने के लिए जजों ने पश्चिम बंगाल सरकार से नाराजगी भी जताई है।
नई दिल्ली, एएनआइ/पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य डीजीपी नियुक्ति में यूपीएससी की भूमिका को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से दायर याचिका खारिज की। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए यह मांग की थी कि राज्य डीजीपी नियुक्ति में यूपीएससी की भूमिका खत्म की जाए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मानने से मना कर दिया। शीर्ष अदालत का कहना है कि राज्य ने पहले भी इसी तरह का एक आवेदन दायर किया था जिसे खारिज कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बार-बार एक ही तरह की याचिका दाखिल करने के लिए जजों ने पश्चिम बंगाल सरकार से नाराजगी भी जताई है। अदालत का कहना है कि इस तरह के आवेदन कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने हालांकि पुलिस सुधारों पर मुख्य मामले में राज्य के पक्षकार आवेदन को स्वीकार कर लिया और कहा कि वह उस मामले की सुनवाई शुरू करेगी, जिसपर कई वर्षों से ध्यान नहीं डाला जा रहा था।
पीठ ने कहा, 'हमने आपका आवेदन देखा है। आप जो बिंदु उठा रहे हैं वह ठीक वही है जो आपने पहले उठाया था कि यूपीएससी की भूमिका नहीं होनी चाहिए। जब मुख्य मामला लिया जाता है तो आप इस मामले पर बहस कर सकते हैं। हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं। यह प्रक्रिया का दुरुपयोग है। हम आपके आवेदन को खारिज कर देंगे। हमारे पास इस तरह की याचिकाएं नहीं हो सकती हैं। हम इन आवेदनों पर इतना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं।'
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर राज्य भी इस तरह से मामले दर्ज करना शुरू करते हैं तो उसके लिए अन्य मामलों की सुनवाई के लिए समय निकालना मुश्किल होगा। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से कहा, 'आप खुद आकर हमें बताएं कि सभी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हो रही है, आपराधिक अपीलों पर सुनवाई नहीं हो रही है।'
प्रकाश सिंह (मुख्य याचिकाकर्ता) की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ से पुलिस सुधारों पर मुख्य याचिका की जल्द सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा, 'दुर्भाग्य से अधिकांश राज्यों में शीर्ष अदालत के निर्देशों का कार्यान्वयन लागू नहीं है।'
अदालत ने अब मामले को अक्टूबर में सुनवाई के लिए डाल दिया है और कहा है, 'हम मामले की सुनवाई शुरू करेंगे। इस मामले में कई सालों से कोई प्रगति नहीं हुई है।'