Move to Jagran APP

धर्म और जाति पर टिकट बांटने के मामले में सुप्रीमकोर्ट से बसपा को मिली राहत

लखनऊ के रहने वाले नीरज शंकर सक्सेना ने सुप्रीमकोर्ट में यह विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Tue, 31 Jan 2017 07:51 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jan 2017 08:40 PM (IST)
धर्म और जाति पर टिकट बांटने के मामले में सुप्रीमकोर्ट से बसपा को मिली राहत
धर्म और जाति पर टिकट बांटने के मामले में सुप्रीमकोर्ट से बसपा को मिली राहत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जाति और धर्म के आधार पर टिकट बांटने और वोट मांगने के आरोपों में घिरी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को सुप्रीमकोर्ट से बड़ी राहत मिल गयी है। सुप्रीमकोर्ट ने बसपा के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।

loksabha election banner

लखनऊ के रहने वाले नीरज शंकर सक्सेना ने सुप्रीमकोर्ट में यह विशेष अनुमति याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने गत 13 जनवरी को नीरज की शिकायत पर चुनाव आयोग को विचार करने की बात कहते हुए याचिका निपटा दी थी। जिसके खिलाफ वो सुप्रीमकोर्ट आये थे।

नीरज के वकील विष्णु शंकर जैन ने न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ से बसपा के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि बसपा ने धर्म के नाम पर टिकट बांटे हैं और वोट मांगा है। ऐसा करना कानून और चुनाव आचार संहित दोनों का उल्लंघन है।

यह भी पढ़ें: ईडी ने कर्नाटक के पूर्व अधिकारी की 25 करोड़ की संपत्ति जब्त की

उन्होंने प्रेस क्लिीपिंग पीठ के समक्ष पेश करते हुए कहा कि अभी हाल में 21 जनवरी को फिर बसपा प्रमुख मायावती ने प्रेस कान्फ्रेंस की है जिसमें उन्होंने मुसलमानों से बसपा को वोट करने की अपील की है। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि आप सही हो सकते हैं लेकिन प्रदेश में चुनाव प्रक्रिया शुरू हो गयी है इसलिए कोर्ट मामले में दखल नहीं देगा।

याचिका में कहा गया था कि बसपा द्वारा धर्म के आधार पर वोट की अपील करने से उत्तर प्रदेश का पूरा विधानसभा चुनाव प्रभावित होता है। मांग थी कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वो जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए में बसपा के खिलाफ कार्रवाई करे।

यह भी पढ़ें: बजट सत्र को लेकर आयोजित भोज में पीएम मोदी ने की ट्रंप समेत कई मुद्दों पर चर्चा

क्योंकि पार्टी ने पंजीकरण के समय इस धारा के तहत की गई धर्मनिरपेक्षता की घोषणा का उल्लंघन किया है। साथ ही बसपा की मान्यता रद की जाए। बसपा द्वारा घोषित उम्मीदवारों को बसपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने से रोका जाए।

याचिका में कहा गया था कि मायावती ने 3 जनवरी को प्रेस कान्फ्रेंस की थी जिसमें सुप्रीमकोर्ट के 2 जनवरी के फैसले का पूरी तरह उल्लंघन हुआ। उस प्रेस कान्फ्रेंस में मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ने निम्न क्रम में टिकट बांटे हैं।

97 मुस्लिम उम्मीदवार, 87 अनुसूचित जाति उम्मीदवार, 106 पिछड़ा वर्ग और 113 सामान्य वर्ग जिसमें से 66 ब्राम्हण, 36 क्षत्रियों और 11 अन्य उम्मीदवारों को दिये गये हैं। कहा गया था कि सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बावजूद मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी ने 97 टिकट मुसलमान उम्मीदवारों को दिये। याचिकाकर्ता का कहना था कि ये जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3) के तहत चुनाव का भ्रष्ट तरीका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.