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सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म आर्टिकल 15 पर रोक लगाने से किया इनकार, दिया ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी फिल्म आर्टिकल 15 को चुनौती देने वाली ब्राम्हण समाज आफ इंडिया की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 12:11 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 12:18 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म आर्टिकल 15 पर रोक लगाने से किया इनकार, दिया ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म आर्टिकल 15 पर रोक लगाने से किया इनकार, दिया ये निर्देश

नई दिल्‍ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी फिल्म 'आर्टिकल 15' को चुनौती देने वाली ब्राम्हण समाज आफ इंडिया की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह फिल्म पर अपनी आपत्तियां उचित फ़ोरम में रखें। याचिका में मौलिक अधिकार का उल्लंघन और वैमनस्य फैलने की आशंका बताई गई थी।

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आयुष्मान खुराना (Ayushmann khurrana ) की फिल्म आर्टिकल 15 (Article 15) ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर अभी तक अच्छी कमाई की है। फिल्म का बजट ज्यादा नहीं था और विषय भी अलग है इस कारण कम कलेक्शन की उम्मीद थी। लेकिन फिल्म ने सिनेमाघरों में शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) की कबीर सिंह (Kabir singh) के होते हुए भी अच्छा परफॉर्म किया है। रिलीज से आठवें दिन यानि शुक्रवार को फिल्म ने करीब 5 करोड़ और अपनी कमाई में जोड़ लिए हैं।

गौरतलब है कि अनुभव सिन्हा निर्देशित आर्टिकल 15 एक संजीदा फ़िल्म है, जो उत्तर प्रदेश में हुई दुष्कर्म की एक जघन्य घटना से प्रेरित है। फ़िल्म के ज़रिए समाज में जातिगत भेदभाव के मुद्दे को रेखांकित करती फ़िल्म में इस सिस्टम पर कड़ा प्रहार किया गया है। आर्टिकल 15 में आयुष्मान खुराना आईपीएस अफ़सर की भूमिका में हैं। विक्की डोनर से अपना बॉलीवुड करियर शुरू करने वाले आयुष्मान पहली बार पुलिस ऑफ़िसर बने हैं और उनके काम की काफ़ी तारीफ़ हुई है। फ़िल्म में ईशा तलवार, शायोनी गुप्ता और कुमुद मिश्रा ने अहम भूमिकाएं निभायी हैं।

Article 15 को लेकर ये है विवाद 
ब्राह्मण समाज ऑफ इंडिया संस्था की ओर से नेमिनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल कर फिल्म का विरोध करते हुए कहा है कि फिल्म के जाति आधारित संवाद समाज में नफरत फैला सकते हैं। सच्ची आपराधिक घटना की पृष्ठभूमि बताते हुए फिल्म में झूठी, गलत और तोड़-मरोड़ कर कहानी पेश की गई है जिसके जाति आधारित संवाद आपत्तिजनक, अफवाह फैलाने वाले और समाज में नफरत पैदा करने वाले हैं। याचिका में फिल्म के शीर्षक 'आर्टिकल 15' पर आपत्ति उठाते हुए कहा गया है कि इससे संविधान के आर्टिकल 15 के प्रति लोगों में गलत अवधारणा बनेगी। भारत सरकार की इजाजत के बगैर फिल्म का नाम 'आर्टिकल 15' नहीं रखा जा सकता। याचिका में मांग की गई है कि फिल्म प्रमाणन बोर्ड को निर्देश दिया जाए कि वह फिल्म के प्रदर्शन का जारी प्रमाणपत्र निरस्त करे।


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