यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से वधावन बंधुओं को मायूसी, अग्रिम जमानत याचिका खारिज
यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से वधावन बंधुओं को मायूसी हाथ लगी है। शर्ष अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस में DHFL प्रमोटर धीरज वधावन (Dheeraj Wadhawan) और कपिल वधावन (Kapil Wadhawan) की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी। बॉम्बे हाईकोर्ट से मायूसी के बाद वधावन बंधुओं ने गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीते 12 मई को वधावन बंधुओं की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दोनों आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय यस बैंक मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच कर रहा है। मौजूदा वक्त में वधावन बंधु सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए एक अलग मामले में जेल में हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल (Justices Sanjay Kishan Kaul) और न्यायमूर्ति बीआर गवई (Justices BR Gavai) की पीठ के सामने वधावन बंधुओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि वह याचिका में किए गए अनुरोध के लिए अदालत पर जोर नहीं दे रहे हैं। इसके बाद पीठ ने इनकी याचिका खारिज कर दीं।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor general Tushar Mehta) ने पैरवी की। उन्होंने शर्ष अदालत से कहा कि दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है जिससे उनकी अग्रिम जमानत याचिका निरर्थक हो गई हैं। पीठ ने इसके बाद याचिकाओं को खारिज कर दिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने वधावन बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि करोड़ों रूपए के घोटाले की साजिश और इसे अंजाम देने के तरीकों का पर्दाफाश करने के लिए उक्त दोनों आरोपियों से हिरासत में पूछताछ करने की जरूरत है।
मालूम हो कि सीबीआइ ने यस बैंक मामले में धीरज और कपिल वधावन को अप्रैल में ही गिरफ्तार किया था। सीबीआइ की प्राथमिकी में कहा गया है कि यह घोटाला अप्रैल से जून 2018 के दौरान तब शुरू हुआ जब यस बैंक ने डीएचएफएल में 3,700 करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह भी आरोप है कि इसके बादले में वधावन बंधुओं ने यस बैंक के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों को डूइट अर्बन वेन्चर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को कर्ज के नाम पर 600 करोड़ रूपए दिए थे।