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सुप्रीम कोर्ट ने राहुल के लोकसभा में निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, जानें क्‍या था पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने वायनाड सीट से राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता सरिता एस नायर ने इस मामले में केरल हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। जानें क्‍या था यह पूरा मामला और केरल हाईकोर्ट ने क्‍या दिया था आदेश...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 04:08 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 04:08 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल के लोकसभा में निर्वाचन को चुनौती देने वाली  याचिका खारिज की, जानें क्‍या था पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने वायनाड सीट से राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को साल 2019 के लोक सभा चुनाव में केरल की वायनाड सीट (Wayanad Lok Sabha constituency) से राहुल गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता सरिता एस नायर की ओर से किसी के पेश नहीं होने के चलते सुनवाई स्थगित कर दी थी।

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मुख्‍य न्‍यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्‍यन की पीठ ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मामले की सुनवाई की और केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी। बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2019 को चुनौती वायनाड और एर्नाकुलम संसदीय सीटों पर राहुल गांधी के निर्वाचन के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी थी।

केरल हाईकोर्ट ने इन दोनों सीटों पर चुनाव को चुनौती देने वाली सरिता एस नायर की याचिका को अस्वीकार करते हुए कहा था कि चूंकि सोलर घोटाले से संबंधित दो मामलों में उसकी दोषसिद्धी निलंबित नहीं की गई थी। इसी वजह से उनके नामांकन खारिज कर दिए गए थे। बता दें कि सरिता नायर केरल के चर्चित सोलर कांड की आरोपी हैं। नायर ने राज्य की वायनाड सीट से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पर्चा दाखिल किया था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में रिटर्निंग अधिकारी ने सरिता नायर के कागजात को इस आधार पर खारिज कर दिया कि एक अदालत ने उन्हें तीन साल के लिए सौर घोटाला मामले में दोषी ठहराया था। इसके बाद नायर (Saritha Nair) ने केरल हाईकोर्ट में रिटर्निंग अधिकारी के आदेश को चुनौती दी थी। उन्‍होंने अदालत में दलील दी थी कि अमेठी के निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया था जबकि वायनाड के निर्वाचन अधिकारी ने इसे रद कर दिया।

गौरतलब है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) कहती है कि आपराधिक मामलों में दो साल से अधिक की सजा पाने वाले उम्‍मीदवार का नामांकन रिटर्निंग अधिकारी की ओर से रद किया जा सकता है। वायनाड के निर्वाचन अधिकारी ने अपने आदेश में कहा था कि चूंकि नायर को निचली अदालत ने सोलर घोटाले में दोषी माना है इसलिए उनका नामांकन खारिज किया जाता है। 


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