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कोरोना महामारी के बीच राज्यों को प्रवासी बच्चों और उनकी स्थिति से अवगत कराने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

याचिका में कहा गया कि कोरोना संकट की गंभीरता के चलते केंद्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लाकडाउन की घोषणा की थी। इस दौरान प्रवासी बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए और सबसे संवेदनशीलों में हैं। इसमें कहा गया भले ही प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए प्रतिवादियों के प्रयासों की जानकारी है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 06:32 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 06:32 PM (IST)
कोरोना महामारी के बीच राज्यों को प्रवासी बच्चों और उनकी स्थिति से अवगत कराने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
राष्ट्रव्यापी लाकडाउन से प्रवासी बच्चे हुए सबसे अधिक प्रभावित

नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों को मंगलवार को निर्देश दिया कि वे प्रवासी बच्चों की संख्या और उनकी स्थिति से उसे अवगत कराएं। न्यायालय ने यह निर्देश उस याचिका पर दिया, जिसमें कोरोना महामारी के बीच प्रवासी बच्चों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण का आदेश देने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना एवं वी रामसुब्रमण्यन ने मामले में पक्षकार बनाए गए सभी राज्यों को जवाब देने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जायना कोठारी पेश हुईं।

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शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों को आठ मार्च को मामले में पक्षकार बनाया था। इसने चाइल्ड राइट्स ट्रस्ट तथा बेंगलुरु के एक निवासी की ओर से दाखिल याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें कोरोना महामारी के बीच प्रवासी बच्चों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में कहा गया कि कोरोना संकट की गंभीरता के चलते केंद्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लाकडाउन की घोषणा की थी। इस दौरान प्रवासी बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हुए और सबसे संवेदनशीलों में हैं। इसमें कहा गया, भले ही प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए प्रतिवादियों के प्रयासों की जानकारी है। लेकिन जिलों में बने राहत शिविरों एवं क्वारंटाइन सेंटरों में रहे बच्चों एवं महिलाओं के लिए उठाए गए कदमों पर केंद्र या राज्यों की तरफ से कोई रिपोर्ट जारी नहीं की गई है।

याचिका में कहा गया, अभूतपूर्व लाकडाउन ने संकट पैदा किया और प्रवासी बच्चों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। लाकडाउन से प्रवासी बच्चों पर कहर बरपा है और अब तक प्रवासी बच्चों, शिशुओं, गर्भवती प्रवासी महिलाओं की संख्या और उनकी जरूरतों का कोई आकलन नहीं किया गया है।


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