Supreme Court: हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा मामले में ठोस उदाहरण की सुप्रीम कोर्ट ने की मांग, दिया दो सप्ताह का समय
कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सामग्री पेश करने का समय देते हुए सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी। यह टिप्पणी और निर्देश सोमवार को जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जिन जगहों पर हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उन्हें अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप ऐसे ठोस उदाहरण पेश करें जहां कम आबादी होने के बावजूद हिंदुओं को मांगने पर अल्पसंख्यक दर्जा नहीं मिला। जब तक कोई ठोस उदाहरण या मामला सामने नहीं होगा, तब तक कोर्ट इस पर कैसे विचार कर सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सामग्री पेश करने का समय देते हुए सुनवाई दो सप्ताह के लिए टाल दी। यह टिप्पणी और निर्देश सोमवार को जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने प्रसिद्ध भागवत कथा वाचक देवकी नंदन ठाकुर की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
देवकी नंदन ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कानून, 1992 की धारा 2 (सी) को रद करने की मांग की है। याचिका में 23 अक्टूबर, 1993 की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, पारसी, सिख और बौद्ध को अल्पसंख्यक दर्जा दिया गया है। जैन समुदाय को 2014 में अल्पसंख्यक माना गया था। याचिका में कहा गया है कि देश के कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे-जम्मू और कश्मीर, मिजोरम आदि में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। उन्हें वहां अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त नहीं हैं। इसलिए उन्हें अल्पसंख्यकों को मिलने वाला लाभ वहां नहीं मिल पाता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा न मिलने का दिखाइए सबूत'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ऐसे मामले हो सकते हैं कि कोई समुदाय एक जगह बहुसंख्यक है, तो दूसरी जगह अल्पसंख्यक होगा। भाषाई अल्पसंख्यक को देखें तो महाराष्ट्र में मराठी बहुसंख्यक हैं। वे दूसरे राज्य में अल्पसंख्यक हो सकते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार ने कहा कि यह याचिका हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने से वंचित रखने की बात कर रही है। अवधारणा है कि हिंदू अल्पसंख्यक नहीं होते। इस पर पीठ ने कहा कि इस संबंध में कोई ठोस उदाहरण दीजिए।