जानिए, क्यों है सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या से खफा
जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि इन वाहनों को छह महीने में निस्तारित करने की नीति क्यों नहीं बनाई जा सकती।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में ट्रैफिक जाम की समस्या से निबटने के लिए कोई तय समय सीमा न दिये जाने पर नाखुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से ट्रैफिक जाम से निपटने की तय समयसीमा बताने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने थानों में खड़े जब्त वाहनों के बारे में नीति बनाने के लिए भी कहा है। कोर्ट के पिछले आदेश पर अमल करते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक सोमवार को कोर्ट में पेश हुए।
ये निर्देश न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली में यातायात जाम की समस्या के मामले में सुनवाई के दौरान दिये। कोर्ट ने पेश पुलिस आयुक्त से दिल्ली के ट्रैफिक कंजेशन के 77 स्थानों को जाम मुक्त किये जाने के बारे में समयसीमा बताने को कहा। इस पर पुलिस आयुक्त ने संबंधित अथारिटी से बात करके तय समयसीमा बताने के लिए कोर्ट से चार सप्ताह का समय मांग लिया। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त के अलावा पेश हुए पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर से भी इसमे पूरा सहयोग करने को कहा है।
इससे पहले कोर्ट ने ट्रैफिक जाम को लेकर 54 बैठकें होने के बावजूद समयसीमा तय न होने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ये उसी तरह हो गया है जैसे एक फिल्म में कहा गया था तारीख पर तारीख वैसे ही फिल्म होगी मीटिंग पर मीटिंग। इस पर दिल्ली सरकार की ओर से पेश एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि ट्रैफिक जाम के 77 बिन्दुओं को जाम मुक्त करने के बारे में काफी काम हो चुका है। जस्टिस लोकूर ने कहा कि वे काम पूरा होने की समयसीमा जानना चाहते हैं।
कोर्ट ने थाने में खड़े जब्त वाहनों के बारे मे भी नीति बनाने को कहा
कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से पूछा कि निजामुद्दीन पुलिस थाने के सामने जब्त वाहनों का ढेर और अन्य वाहनों के खड़े होने के कारण इतना जाम रहता है उसे कब तक खत्म कर दिया जाएगा। पटनायक ने कहा कि 15 दिन में वहां का जाम खत्म कर दिया जाएगा। काफी काम हो चुका है।
पीठ ने सवाल किया कि क्या थाने मे खड़े जब्त वाहनों के बारे मे कोई नीति नहीं है। इस बारे मे जरूर कोई नीति बनाई जानी चाहिए ताकि नियम उल्लंघन के कारण जब्त वाहन थाने में खड़े-खड़े कबाड़ में न तब्दील हों उनमे मच्छर न पैदा हों।
जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि इन वाहनों को छह महीने में निस्तारित करने की नीति क्यों नहीं बनाई जा सकती। इस पर आयुक्त ने कहा कि ज्यादातर वाहन केस प्रापर्टी होते हैं जो कोर्ट केस खत्म होने के बाद सुपुर्ददारी की जाती है। इस पर जस्टिस लोकूर ने कहा कि ऐसे में जब्त वाहन की फोटो वीडियो आदि बना कर वह वाहन उसी मालिक को वापस क्यों नहीं कर दिया जाता जब कोर्ट मे जरूरत हो तब पेश किया जाए।
पीठ ने कहा कि इस बारे मे कोई नीति जरूर होनी चाहिए। कोर्ट ने पीडब्लूडी इंजीनियर से कहा कि दिल्ली में हर जगह पानी भरा है। बाढ़ आ रही है पीडब्लूजी के इतने काम लंबित हैं कुछ नहीं हो रहा। रिपोर्ट के मुताबिक पीडब्लूडी के 221 में से 104 काम लंबित हैं। 26 के बारे मे कहा गया है कि इनका होना संभव नहीं है। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से समय सीमा पर चार सप्ताह मे रिपोर्ट मांगते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।