सुप्रीम कोर्ट ने जल दोहन के लिए एनजीटी के जुर्माने पर लगाई रोक, यूपी सरकार व अन्य को जारी हुआ नोटिस
शीर्ष अदालत एनजीटी के आदेश के खिलाफ एडवांट नैविस बिजनेस पार्क की अपील पर सुनवाई कर रही थी। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि जहां तक नोएडा गोल्फ कोर्स और एडवांट नैविस का संबंध है तो उनके पास कोई वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय ने नोएडा में अनधिकृत रूप से जल दोहन करने के मामले में 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, नवीन सिन्हा और कृष्ण मुरारी की पीठ ने अधिकरण के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार, नोएडा प्राधिकरण और अन्य को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत एनजीटी के आदेश के खिलाफ एडवांट नैविस बिजनेस पार्क की अपील पर सुनवाई कर रही थी। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि जहां तक नोएडा गोल्फ कोर्स और एडवांट नैविस का संबंध है, तो उनके पास कोई वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं है। नोएडा गोल्फ कोर्स और एडवांट नैविस को एक महीने के अंदर 25 लाख रुपये बतौर अंतरिम मुआवजा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के यहां जमा कराना होगा।
गैरकानूनी तरीके से निकाला जा रहा है भूजल
एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की समिति की रिपोर्ट का अवलोकन किया था। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि गैरकानूनी तरीके से भूजल निकाला जा रहा है और बागवानी कार्यो के लिए निकाले जा रहे भूजल का दुरुपयोग निर्विवाद है। एनजीटी ने कहा था कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अनापत्ति प्रमाण पत्र की शर्तो का अनुपालन हो रहा है। इसने अपने पहले के निर्देशों का भी हवाला दिया कि भूजल का इस्तेमाल क्रिकेट मैदान और गोल्फ कोर्स जैसे स्थानों पर नहीं किया जाएगा।
अधिकरण ने कहा था कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अवैध तरीके से भूजल दोहन के मामले में नुकसान का आकलन करने और मुआवजा वसूलने में विफल रहा है। एनजीटी ने पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ की याचिका पर यह आदेश दिया था। विक्रांत ने आरोप लगाया था कि सेक्टर 43 में स्थित नोएडा गोल्फ कोर्स बगैर किसी वैध अनुमति के ही भूजल का दोहन कर रहा है।