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सांसदों-विधायकों के खिलाफ केस में गवाहों की सुरक्षा पर कोर्ट करें विचार, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों में गवाहों को साक्षी संरक्षण योजना के तहत सुरक्षा मुहैया कराने पर विचार करें भले ही उनकी तरफ से ऐसी मांग की गई हो या नहीं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 06:03 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 06:03 AM (IST)
सांसदों-विधायकों के खिलाफ केस में गवाहों की सुरक्षा पर कोर्ट करें विचार, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने माननीयों के खिलाफ मामलों में गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं...

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि वो वर्तमान और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों में गवाहों को साक्षी संरक्षण योजना के तहत सुरक्षा मुहैया कराने पर विचार करें, भले ही उनकी तरफ से ऐसी मांग की गई हो या नहीं। जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, उसके द्वारा स्वीकृत साक्षी संरक्षण योजना, 2018 को केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।

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पीठ ने कहा, 'ऐसे मामलों में खतरे को ध्यान में रखते हुए निचली अदालतें उक्त योजना के तहत गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने पर विचार कर सकती हैं, भले ही उनकी तरफ से अनुरोध नहीं किया गया हो।' इस तरह के मामलों में लोग गवाही देने के लिए अदालतों में आने से बचते हैं। भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने यह भी निर्देश दिया है कि जनहित को ध्यान में रखते हुए सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों को बिना वजह टाले नहीं।

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा रिट कार्यवाही में दिए गए निर्देश दोनों वर्तमान और पूर्व सांसदों और विधायकों के मामलों में लागू होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सांसदों और विधायकों के खिलाफ विशेष एजेंसियों की तरफ से की जा रही जांच की यथास्थिति बताने के लिए और एक हफ्ते का समय दे दिया।

बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों-विधायकों के खिलाफ देशभर की अदालतों में काफी समय से लंबित मामलों पर नाराजगी जाहिर की थी। शीर्ष अदालत ने यह असंतोष तब जताया जब कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि बंगाल में एक पूर्व विधायक के खिलाफ 35 से भी अधिक वर्षों से एक मामला लंबित है। यही नहीं देशभर की अदालतों में मौजूदा एवं पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ 4,400 से ज्यादा आपराधिक मामले लंबित हैं।


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