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बेअंत सिंह हत्याकांड : राजोआना को माफी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की सजा माफी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में देरी पर केंद्र से जवाब मांगा है। राजोआना ने फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 08:24 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 08:24 PM (IST)
राजोआना की सजा माफी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है।

नई दिल्ली, जेएनएन। पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए बलवंत सिंह राजोआना की सजा माफी का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दया याचिका निपटाने में अनुचित देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील किए जाने की मांग की है।

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मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने शुक्रवार को राजोआना की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से अनुच्छेद 72 के तहत क्षमा याचिका का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजे जाने में देरी पर सवाल किया। अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को क्षमा दान का अधिकार है। इस अधिकार में राष्ट्रपति किसी भी अपराधी की सजा माफ कर सकते हैं या उसे कम कर सकते हैं।

मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज से पूछा कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को कब प्रस्ताव भेजेगी। कोर्ट ने कहा कि 27 सितंबर 2019 को गृह मंत्रालय ने पंजाब के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा जाएगा। तो फिर अभी तक प्रस्ताव राष्ट्रपति को क्यों नहीं भेजा गया।

नटराज ने कहा कि सह अभियुक्तों की सजा के खिलाफ अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण बलवंत सिंह राजोआना की क्षमा का प्रस्ताव राष्ट्रपति को नहीं भेजा गया। इस पर पीठ ने कहा कि इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता (राजोआना) ने सजा के खिलाफ कोई अपील दाखिल नहीं की है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपील के फैसले का इंतजार करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।

पीठ ने आगे कहा कि सह अभियुक्तों की अपील सुप्रीम कोर्ट मे लंबित रहने का अनुच्छेद 72 के तहत याचिकाकर्ता का प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजने में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कोर्ट के सवालों पर नटराजन ने इस बारे में सरकार से निर्देश लेकर सूचित करने के लिए कुछ समय दिए जाने का अनुरोध किया। कोर्ट ने उन्हें समय देते हुए मामले की सुनवाई आठ जनवरी तक के लिए टाल दी।

बलवंत सिंह राजोआना ने वकील रुपेश कुमार के जरिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी रिट याचिका में कहा है कि वह 14 जनवरी 1996 से जेल में है। उसे जेल में करीब 25 साल हो गए हैं। उसे 31 जुलाई 2007 को फांसी की सजा हुई थी। फांसी की सजा के बाद जेल भुगतते हुए भी 13 साल से ज्यादा हो गए हैं। उसकी फांसी की सजा माफ करने के लिए 25 मार्च 2012 को दया याचिका भेजी गई थी। आठ साल से ज्यादा समय से दया याचिका लंबित है।

रुपेश कुमार ने यह भी कहा कि लंबित याचिका पर क्या हुआ इसकी उसे कोई जानकारी नहीं है। दया याचिका निपटाने में हुई अनुचित देरी के आधार पर फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील करने की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना ने 31 अगस्त, 1995 को पंजाब सचिवालय के बाहर बम विस्फोट करके पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की हत्या की थी।


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