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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोरोना के दौरान अनाथ हुए बच्चों को संरक्षण देना सुनिश्चित करें राज्य

कोर्ट ने गुरुवार को अनाथ बच्चों की देखरेख और शिक्षा के बारे में राज्यवार स्थिति पर विचार किया। न्यायमित्र वकील गौरव अग्रवाल ने कोर्ट को एक एक करके सभी राज्यों की ओर से दाखिल रिपोर्ट और बाल आयोग की ओर से दाखिल हलफनामे के आधार पर स्थिति से अवगत कराया।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 09:14 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 10:50 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बच्चों की पढ़ाई बीच में नहीं छूटनी चाहिए

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के दौरान माता-पिता या उनमें से किसी एक को खोने वाले अनाथ बच्चों की देखभाल को लेकर चिंता जताते हुए गुरुवार को राज्यों से कहा कि वे ऐसे बच्चों का संरक्षण और उनकी शिक्षा जारी रखना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही अदालत ने राज्यों के जिला अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अनाथ बच्चों से संबंधित पूरा ब्योरा बाल आयोग के पोर्टल बाल स्वराज में दिए गए सभी छह खंडों के मुताबिक तीन सप्ताह में अपलोड करें।

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ये निर्देश न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने अनाथ बच्चों की देखभाल के मामले में सुनवाई के दौरान दिए। पीठ ने ऐसे बच्चों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि अगर 1,000 बच्चे भी बिना माता-पिता के हैं, तो जरा सोचो उनके साथ क्या घटित हो सकता है? वे बच्चे बाल श्रम में न धकेल दिए जाएं। कहीं वे गलत हाथों में न पड़ जाएं। वे बच्चे खतरे में हैं। उनके साथ ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए। उनके लिए हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है। हो सकता है कि ऐसे बच्चों के पास अपनी देखभाल के साधन न हों। इसलिए उनकी सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी राज्यों की है।

बीच में ना छूटे बच्चों की पढ़ाई

कोर्ट ने गुरुवार को अनाथ बच्चों की देखरेख और शिक्षा के बारे में राज्यवार स्थिति पर विचार किया। न्यायमित्र वकील गौरव अग्रवाल ने कोर्ट को एक एक करके सभी राज्यों की ओर से दाखिल रिपोर्ट और बाल आयोग की ओर से दाखिल हलफनामे के आधार पर स्थिति से अवगत कराया। कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वे कोरोना महामारी के दौरान मार्च 2020 से अभी तक माता-पिता दोनों या उनमें से किसी एक अथवा संरक्षक खोने वाले बच्चों की देखभाल में सक्रिय भूमिका निभाएं। राज्य यह सुनिश्चित करें कि बच्चों की पढ़ाई, चाहे वे निजी स्कूल में क्यों न पढ़ते हों, बीच में नहीं छूटनी चाहिए। पढ़ाई जारी रहनी चाहिए।

निजी स्कूलों से ऐसे बच्चों की फीस माफ करने का आग्रह करें

कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वह या तो निजी स्कूलों से बात करके ऐसे बच्चों की फीस माफ करने का आग्रह करें और अगर निजी स्कूल फीस माफ करने को राजी नहीं होते तो राज्य फीस का भार उठाएं। कुछ राज्यों की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कुछ संगठनों ने ऐसे बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने की बात कही है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को आदेश जारी किया है कि किसी बच्चे की पढ़ाई फीस न देने के कारण नहीं रुकनी चाहिए। प्रदेश सरकार ने ऐसे बच्चों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का ब्योरा कोर्ट को दिया। केंद्र सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि कोरोना के कारण अनाथ हुए 18 साल तक के बच्चों की शिक्षा पीएम केयर्स फंड योजना के तहत आती है। इस योजना में आने वाले लाभार्थियों को नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में भर्ती कराया जा सकता है। उनकी फीस पीएम केयर्स फंड से आरटीई के मुताबिक दी जाएगी। भाटी ने बताया कि इस योजना में अभी तक 2,600 बच्चे रजिस्टर्ड हुए हैं।


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