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Supreme Court: क्या एससी-एसटी कानून के मृत्युदंड प्रावधान के तहत चला है कोई मुकदमा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

SC/ST एक्ट के तहत अनिवार्य मृत्युदंड को चुनौती देने वाली याचिका पर SC ने केंद्र से जवाब मांगा है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत मौत की सजा के प्रविधान को खत्म करने की मांग की है।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Tue, 13 Feb 2024 10:57 PM (IST)
Supreme Court: क्या एससी-एसटी कानून के मृत्युदंड प्रावधान के तहत चला है कोई मुकदमा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र से सवाल (Image: ANI)

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि से कहा कि हमें बताएं कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के मृत्युदंड प्रविधान के तहत कोई मुकदमा चलाया गया है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मौत की सजा के प्रविधान को खत्म करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि कुछ डाटा होना जरूरी है कि क्या इस प्राविधान के तहत अपराध हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या इस प्रविधान के तहत दोषसिद्धि का एक भी उदाहरण है।

जवाब में वकील ने कहा कि उनके पास इससे जुड़ा डाटा नहीं है। इसके बाद पीठ ने वेंकटरमणि से जानकारी देने और इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने को कहा। वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि मामला 2019 से लंबित है और भारत संघ द्वारा आज तक कोई प्रतिक्रिया दायर नहीं की गई है।

पीठ ने कहा कि क्या कोई एक भी उदाहरण है, जहां दोषसिद्धि हुई है। क्या आप इस प्रविधान के तहत किसी अभियोजन का पता लगाने के लिए अपने कार्यालयों का उपयोग कर सकते हैं। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (2) ऐसे मामले में अनिवार्य मौत की सजा का प्रविधान करती है, जहां अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के एक निर्दोष सदस्य को दोषी ठहराया जाता है और झूठे आरोप के चलते फांसी दी जाती है।