त्रिपुरा के 8,882 तदर्थ शिक्षकों की बर्खास्तगी पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, बड़ी संख्या में हुईं अवैध नियुक्तियां
सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा के 8882 तदर्थ शिक्षकों को बर्खास्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखा है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने त्रिपुरा के 8,882 तदर्थ शिक्षकों को बर्खास्त किए जाने के फैसले को बरकरार रखा है। ये सभी स्कूली शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने कहा, 'तथ्यों पर विचार करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि बड़ी संख्या में नियुक्तियां अवैध और अमान्य पाई गई हैं। जो अभ्यर्थी सक्षम व योग्य हैं उन्हें 31 मार्च, 2023 तक निश्चित रूप से राज्य में शिक्षक पद पर चयन के लिए अवसर प्रदान किए जाएंगे।
जो अभ्यर्थी इसमें विफल रह जाते हैं वे रोजगार के विकल्प को जारी रख सकते हैं। हमारी नजर में यह पदावनत करने जैसा नहीं है।'बता दें कि वर्ष 2014 में त्रिपुरा हाई कोर्ट ने 10,323 सरकारी शिक्षकों को यह कहते हुए बर्खास्त कर दिया था कि उनका चयन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन एक्ट-1993 के अनुरूप नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में इस आदेश को संशोधित करते हुए राज्य को 31 दिसंबर तक नई नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न करने का निर्देश दिया था। इस क्रम में वर्ष 2019-20 में तदर्थ शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री कोरोना नेगेटिव
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने मंगलवार को कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद जानकारी दी कि वे संक्रमित नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट में बताया, 'मेरा COVID-19 टेस्ट रिजल्ट नेगेटिव है। अगले सात दिनों के लिए मैं होम क्वारंटाइन रहूंगा मैं सभी गाइडलाइन का पालन करूंगा। काम भी मैं घर से ही करूंगा।' उन्होंने आगे कहा कि COVID-19 के खिलाफ जंग जारी रहेगी और हम एकसाथ जीत हासिल करेंगे।
परिवार के दो सदस्य संक्रमित
उन्होंने सोमवार को ऐलान किया था किउन्होंने कोविड-19 टेस्ट कराया है और इसका रिजल्ट आने तक अपने घर में ही आइसोलेशन में रहेंगे। दरअसल, उनके परिवार में दो सदस्यों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है जिसके बाद एहतियातन मुख्यमंत्री ने यह कदम उठाया। मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है।