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सड़क सुरक्षा पर केंद्र व राज्यों के रवैये से सुप्रीमकोर्ट खिन्न

अकेले 2015-16 में सड़क दुर्घटना पीडि़तों को 11,480 करोड़ रुपये का हर्जाना बीमा कंपनियों ने दिया था। इसके बावजूद हादसे घटने का नाम नहीं ले रहे।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Thu, 30 Nov 2017 07:56 PM (IST)Updated: Thu, 30 Nov 2017 07:56 PM (IST)
सड़क सुरक्षा पर केंद्र व राज्यों के रवैये से सुप्रीमकोर्ट खिन्न

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सड़क सुरक्षा पर केंद्र व राज्य सरकारों के ढीले रवैये पर चिंता प्रकट करते हुए उनसे सड़क सुरक्षा पर गंभीरता बरतने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि सड़क सुरक्षा उपायों को लागू करना बहुत कठिन नहीं है। बस संकल्प की आवश्यकता है। क्योंकि सड़क सुरक्षा के नाम पर सैकड़ों करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है। बीमा कंपनियां भी हजारों करोड़ का हर्जाना देती हैं। अकेले 2015-16 में सड़क दुर्घटना पीडि़तों को 11,480 करोड़ रुपये का हर्जाना बीमा कंपनियों ने दिया था। इसके बावजूद हादसे घटने का नाम नहीं ले रहे।

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सड़क सुरक्षा पर जस्टिस मदन बी. लोकूर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कोयंबटूर के एक आर्थोपीडिक सर्जन की याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि सड़क हादसों की संख्या हर साल बढ़ रही है और इनमें मरने वालों में आधे से ज्यादा लोग 25-65 आयुवर्ग के कमाऊ लोग होते हैं।

पीठ ने 2014 में सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर जस्टिस केएस राधाकृष्णन समिति के गठन का जिक्र करते हुए कहा कि ये समिति अब तक सड़क सुरक्षा पर 12 रिपोर्टे कोर्ट को सौंप चुकी है। लेकिन लगता है कि केंद्र व राज्य सरकारों को समिति की सिफारिशों की विशेष चिंता नहीं है। क्योंकि 2014 के 139,671 के मुकाबले 2015 में सड़क हादसों से मरने वालों की संख्या बढ़कर 146,133 हो गई।

कोर्ट के सहायक वकील गौरव अग्रवाल की सूचनाओं का हवाला देते पीठ ने कहा कि चूंकि राज्य सरकारें समिति का सहयोग नहीं कर रही थीं, लिहाजा कोर्ट ने सभी राज्यों के परिवहन सचिवों को केंद्रीय परिवहन सचिव के साथ बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया था। लेकिन 19 सितंबर 2016 को हुई बैठक में केवल दो-तीन राज्यों के परिवहन सचिवों ने शिरकत की। बाकी ने कनिष्ठ अधिकारियों को भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। इसलिए कोर्ट यह कहने को विवश कै कि केंद्र व राज्य सरकारें सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लें।

सड़क सुरक्षा पर केंद्र व राज्यों के ढीले रवैये के मुद्दे को सुप्रीमकोर्ट में कोयंबटूर के गंगा हास्पिटल में आर्थोपीडिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. एस राजासीकरन ने याचिका के जरिए उठाया है। याचिका में उन्होंने कहा है कि उनके अस्पताल में रोजाना बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना के शिकार लोग आते हैं, जिनकी या तो मौत हो जाती है या हाथ-पैर टूट जाते हैं। लिहाजा देश में सड़क सुरक्षा से संबंधित कानूनों, रिपोर्टो तथा सिफारिशों को समयबद्ध ढंग से लागू किए जाने की आवश्यकता है। डा. राजासीकरन के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 90 फीसद मौतों का कारण सुरक्षा नियमों को ठीक से लागू न किया जाना तथा उल्लंघनकर्ताओं को कड़ा दंड न मिलना है।

मामले की अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।


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