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चीफ जस्टिस रमना ने कृष्णा जल विवाद मामले की सुनवाई से क्‍यों किया इन्‍कार, जानें पूरा मामला

चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ आंध्र प्रदेश की तरफ से दाखिल याचिका पर विचार कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया है कि तेलंगाना ने उसके हिस्से के नदी जल से वंचित कर दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा मैं इस मामले को नहीं सुनना चाहता।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 07:03 PM (IST)Updated: Mon, 02 Aug 2021 07:53 PM (IST)
कृष्णा जल विवाद निपटारे को सुप्रीम कोर्ट ने दी मध्यस्थता की सलाह। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आंध्र प्रदेश व तेलंगाना को मध्यस्थता के जरिये कृष्णा जल बंटवारा विवाद सुलझाने की सलाह देते हुए कहा कि वह मामले में बेवजह हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ आंध्र प्रदेश की तरफ से दाखिल याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि तेलंगाना ने उसके हिस्से के नदी जल से वंचित कर दिया है।

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चीफ जस्टिस रमना ने कहा, मैं दोनों राज्यों से ताल्लुक रखता हूं

आंध्र प्रदेश के रहने वाले चीफ जस्टिस रमना ने कहा, 'मैं इस मामले को कानूनी रूप से नहीं सुनना चाहता। मैं दोनों राज्यों से ताल्लुक रखता हूं। अगर मध्यस्थता से मामला सुलझाया जा सकता है, तो कृपया ऐसा करें। हम उसमें सहायता कर सकते हैं। वर्ना, मैं इसे दूसरी पीठ को स्थानांतरित कर दूंगा।' उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि आप दोनों (दोनों पक्षों के वकीलों) अपनी सरकारों को समझाते हुए मामले को सुलझाएं।'

आंध्र प्रदेश सरकार ने जुलाई में शीर्ष अदालत में दाखिल किया मामला

आंध्र प्रदेश की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे व महफूज अहसन नजकी ने निर्देश लेने के लिए वक्त मांगा। तेलंगाना का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन भी इस पर सहमत हुए। इसके बाद पीठ ने मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया। आंध्र प्रदेश सरकार ने जुलाई में शीर्ष अदालत में मामला दाखिल करते हुए दावा किया था कि तेलंगाना सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम-2014 के तहत गठित सर्वोच्च परिषद के निर्णयों, अधिनियम तथा केंद्र के आदेशों के तहत गठित कृष्ण नदी प्रबंधन बोर्ड (केआरएमबी) के निर्देशों के पालन से इन्कार कर दिया है।


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