पांच महिलाओं हत्याओं के लिए फांसी की सजा पाए दो दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में लूट और एक ही परिवार की पांच महिलाओं की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए दो दोषियों को भी मंगलवार को बरी कर दिया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में लूट और एक ही परिवार की पांच महिलाओं की हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए दो दोषियों को भी मंगलवार को बरी कर दिया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दोनों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था।
जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने हाई कोर्ट के अप्रैल 2015 के आदेश को चुनौती देने वाली दिगंबर वैष्णव और गिरधारी वैष्णव की अपीलों पर सुनवाई की। हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा उन्हें दी गई मौत की सजा बरकरार रखी थी।
पीठ ने कहा कि मामले के रिकॉर्ड के साथ-साथ पेश किए गए सबूतों पर गौर करने से यह साबित करना मुश्किल है कि दोनों ने अपराध को अंजाम दिया था। अदालत ने कहा कि नाबालिग गवाह की गवाही से यह साफ है कि वह मामले की प्रत्यक्षदर्शी नहीं थी।
छह लोगों की हत्या के दोषी की सजा बरकरार
जस्टिस सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने 2012 में दो नाबालिगों समेत एक ही परिवार के छह सदस्यों की हत्या करने के जुर्म में एक व्यक्ति को मिली मौत की सजा की पुष्टि करते हुए मंगलवार को कहा कि उसने ''अत्यधिक क्रूरता'' के साथ अपराध को अंजाम दिया जिसने समाज की ''सामूहिक चेतना'' को हिला दिया।
पीठ ने खुशविंदर सिंह की अपील को खारिज कर दिया जिसने एक निचली अदालत द्वारा उसे मौत की सजा बरकरार रखने वाले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 2013 के फैसले को चुनौती दी थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार सिंह ने पीडि़तों के घर में रखे 37 लाख रुपये और गहने चुराने के लिए अपराध को अंजाम दिया था। उसके घर से 36.70 लाख रुपये बरामद किए गए थे। पुलिस ने बताया कि उसने परिवार के सभी सात सदस्यों को मारने की कोशिश की थी लेकिन उनमें से एक बच गया और उसने शिकायत दर्ज कराई।