Sunday Special: भारत का यह डॉक्टर रविवार को नहीं करता आराम, 49 सालों से अब तक 26 लाख लोगों का किया फ्री इलाज
15 अगस्त 1973 को संडे क्लिनिक शुरू करने वाले डा. रमन राव (Dr. Raman Rao) हर रविवार को टी. बेगुर (T. Begur) गांव में ग्रामीणों का इलाज करते हैं। यह क्लीनिक वहां के 50 किलोमीटर क्षेत्र की जीवनरेखा बन गया है।
बंगलौर, जागरण ऑनलाइन डेस्क। बच्चे हों या बड़े हों, रविवार का दिन सभी का पसंदीदा होता है, क्योंकि इस दिन कोई काम नहीं करना पड़ता। यह दिन साप्ताहिक अवकाश का होता, जब हर व्यक्ति बस आराम करना चाहता है। लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो अपने काम को लेकर इतना प्रतिबद्ध है कि वह रविवार का दिन लोगों की सेवा में लगा देता है।
यह शख्स बंगलौर के रहने वाले डा. रमन राव (Dr. Raman Rao) हैं, जो अपने संडे क्लिनिक (Sunday Clinic) में अब 26 लाख (2.6 Million) लोगों को इलाज कर चुके हैं। देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ (75th Anniversary of Indian Independence) के साथ ही डा. रमन राव के क्लिनिक की भी 49वीं वर्षगांठ है। डा. रमन राव ने साल 1973 में स्वतंत्रता दिवस पर क्लिनिक की शुरूआत की थी, जिसमें बैंगलोर के आस-पास के लगभग 50 गांवों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराई जाती है।
पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं डा. राव
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, डा. राव बताते हैं कि 15 अगस्त 1973 से वे हर रविवार को बंगलौर से 30 किलामीटर दूर स्थित कर्नाटक के टी. बेगुर (T. Begur) गांव स्थित अपने क्लिनिक पर आते हैं, जाे वहां के गांवों की जीवनरेखा बन चुका है। पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डा. राव बताते हैं कि वे हर रविवार को सुबह होते ही टी. बेगुर की तरफ निकल पड़ते हैं और अब उन्हें इसकी आदत हो चुकी है।
हर सप्ताह रविवार के दिन जब डा. राव अपने सहयोगियों के साथ क्लिनिक पहुंचते हैं तो टी. बेगुर गांव स्वास्थ्य शिविर में बदल जाता है। लगभग 50 किलाेमीटर के क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, इनमें से कोई पैदल तो कोई बैलगाड़ी या अन्य वाहनों से आता है।
पूरा परिवार करता है सहयोग, गांधी जी की बात से मिली प्रेरणा
डा. राव की पत्नी, उनके दो बेटे और बहुएं और पोते बड़े उत्साह के साथ इस क्लिनिक पर सहयोग करते हैं। डा. राव ने बताया कि उनको इस काम के लिए महात्मा गांधी से प्रेरणा मिली थी, जिन्होंने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। इसलिए उन्होंने उन लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का निर्णय लिया जो अच्छी सुविधाओं से वंचित हैं।
एक वाकया सुनाते हुए डा. राव बताते हैं कि वे टी. बेगुर में कुछ जमीन खरीदने के लिए आए थे। तब उन्होंने देखा कि एक बूढ़ी औरत जो चलने-फिरने में असमर्थ थी और कराह रही थी। उसके सभी रिश्तेदारों ने उसके जिंदा बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। तब उन्होंने तुरंत महिला का इलाज किया, जिससे उसकी हालत में थोड़ा सुधार हुआ। इसके बाद से ही उन्होंने यहां क्लिनिक खोलने की ठान ली।
तंबू में शुरू किया था क्लिनिक, गिनीज बुक में दर्ज है नाम
उन्होंने बताया कि 15 अगस्त 1973 को क्लीनिक की नींव रखी गई, तब एक तंबू में इसका संचालन किया जाता था। उस वक्त डा. राव गांव के लोगों के इलाज करने की फीस भी नहीं लेते थे और यह सिलसिला आज तक जारी है।
डा. राव के संडे क्लिनिक का नाम गिनीज बुक में एक मिलियन (10 लाख) मरीजों का इलाज करने के लिए दर्ज है। वहीं भारत की लिम्का बुक ने संडे क्लिनिक को विश्व का सबसे पुराना सेवा देने वाले क्लिनिक बताया है।
लगभग 70 वर्षीय डा. राव बताते हैं कि व्यक्ति अच्छे इरादों और दृढ़ संकल्प के साथ बदलाव ला सकता है। बदलाव केवल बड़े शहरों में ही हो यह जरूरी नहीं है, यह छोटे से गांव में भी संभव है।