गंगा में औद्योगिक प्रदूषण रोकने में सफलता
केंद्र की पहल से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कागज उद्योग से होने वाले प्रदूषण खासकर ब्लैक लिकर की निकासी लगभग पूरी तरह खत्म हो रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंगा में औद्योगिक प्रदूषण रोकने की दिशा में सरकार की मुहिम धीरे-धीरे रंग ला रही है। केंद्र की पहल से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कागज उद्योग से होने वाले प्रदूषण खासकर ब्लैक लिकर की निकासी लगभग पूरी तरह खत्म हो रही है। इस बीच प्रधानमंत्री ने गंगा को निर्मल बनाने के अभियान में जन भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि लोगों की आस्था गंगा सफाई में जरूर सफलता दिलाएगी।
प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' कार्यक्रम में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश में डिस्टलरीज से जो गंदगी निकलती थी उसे रोकने की दिशा में सफलता पाई है। पल्प एंड पेपर उद्योग से निकलने वाले ब्लैक लिकर की निकासी लगभग पूरी तरह खत्म हो रही है। ये संकेत बताते हैं कि गंगा की सफाई का काम सही दिशा में बढ़ रहा है। औद्योगिक प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कागज, डिस्टलरीज और चीनी उद्योग के लिए एक कार्य योजना बन गयी है। कुछ मात्रा में लागू होना भी शुरु हो गयी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा में प्रदूषण के बारे में जागरूकता भी बढ़ी है। सिफऱ् गंगा तट के नहीं, दूर-सुदूर दक्षिण का भी कोई व्यक्ति उन्हें मिलता है, तो पूछता है कि गंगा सफ़ाई तो होगी न। जन-सामान्य की यह आस्था गंगा सफ़ाई में ज़रूर सफलता दिलाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा सफाई के अभियान के संबंध में चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि करीब 30 साल से यह काम चल रहा है। कई सरकारें आईं, कई योजनायें बनीं, ढेर सारा खर्चा भी हुआ और इसलिए लोगों के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है।
रोजी-रोटी देती है गंगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा सिर्फ मोक्षदायिनी नहीं बल्कि जीवनदायिनी है। गंगा से हमें रोटी मिलती है। गंगा से हमें रोज़ी मिलती है। गंगा से हमें जीने की एक नयी ताक़त मिलती है। गंगा जैसे बहती है, देश की आर्थिक गतिविधि को भी एक नयी गति देती है।
गंगा को चाहिए करोड़ों भागीरथ
गंगा को निर्मल बनाने के लिए जन भागीदारी पर जोर देते हुए पीएम ने कहा कि एक भगीरथ ने गंगा तो हमें ला कर दे दी, लेकिन इसे बचाने के लिए करोड़ों भगीरथों की ज़रूरत है।
हर दिन निकाला जा रहा 3 से 11 टन कचरा
पीएम ने कहा कि गंगा में गिरने वाले कचरे को निकालने के लिए सभी स्थानीय निकायों को ट्रास स्किमर मुहैया कराए जा रहे हैं। वाराणसी, इलाहबाद, कानपुर और पटना सहित कई स्थानों पर यह काम शुरु भी हो गया है। कई जगहों पर प्रतिदिन तीन से 11 टन कचरा निकाला जा रहा है। इस तरह इतनी मात्रा में गंदगी बढऩे से रुक ही रही है। आने वाले दिनों में और भी स्थानों पर ये मशीनें लगाने की योजना है।
यह भी पढ़ेंः विजय माल्या का नाम इंग्लैंड की मतदाता सूची में शामिल