पीएम के पब्लिसिटी कमेंट पर सुब्रमण्यम स्वामी ने परोक्ष तौर पर साधा निशाना
सुब्रमण्यम स्वामी क्या अपनी बोल पर लगाम लगा सकेंगे। ये एक अहम सवाल है। पीएम के पब्लिसिटी कमेंट पर उन्होंने अपने अंदाज में जवाब दिया।
नई दिल्ली। एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में पीएम ने आरबीआई गवर्नर के मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया। उन्होंने कहा कि महज पब्लिसिटी पाने के लिए संवैधानिक व्यवस्थाओं पर सवाल नहीं खड़ा करना चाहिए। बिना किसी का नाम लिए पीएम ने कहा था कि कोई शख्स हो या कोई दल संस्थाओं के ऊपर बयान देते वक्त संयम बरतना चाहिए। पीएम के इस साक्षात्कार को राजनीतिक हल्कों में स्वामी को नसीहत देने के रूप में देखा गया। लेकिन आज सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर बिना नाम लिए पीएम पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा।
PTs : New problem: when publicity relentlessly seeks a politician. 30 OVs outside the house, 200 missed calls from channels and paparazzis ?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 29, 2016
पीएम के साक्षात्कार के बाद स्वामी एक तरह से चुप्पी साधे रहे। लेकिन गीता ज्ञान के जरिए उन्होंने अपनी भावना को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सुख हो या दुख वो अपने कर्तव्यों से पीछे नहीं हटेंगे।
The world is in general equilibrium. A small change in one parameter effects changes in all variables. So Krishna advised: Sukh Dukhe....
— Subramanian Swamy (@Swamy39) June 28, 2016पीएम के साक्षात्कार के बाद कांग्रेस ने स्वामी का नाम लिए बगैर टिप्पणी की। कांग्रेस की तरफ से ये प्रतिक्रिया आई कि संसद में भाजपा ने उस न्यूक्लियर हथियार को फिट कर दिया है। जिसमें भाजपा खुद ब खुद उड़ जाएगी।दरअसल स्वामी आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन से इस बात से नाराज थे कि उनकी नीतियां अमेरिका परस्त है। राजन को भारतीय छोटे और मझोले उद्योगों की चिंता नहीं है। आम भारतीयों के लिए ब्याज दरों में रियायत मिलनी चाहिए थी। लेकिन राजन को बड़े औद्योगिक घरानों की ही चिंता रहती है। सुब्रमण्यम स्वामी का मानना है कि वित्त मंत्री भी इस मसले पर सकारात्मक कदम उठाने में लाचार ही रहे। हालांकि स्वामी ने कभी वित्त मंत्री जेटली का नाम लेकर सीधे तौर पर हमला नहीं किया। लेकिन राजनीतिक हलकों में ये चर्चा आम हो गयी कि रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहाकार तो महज एक मोहरा हैं। इन दोनों लोगों के जरिए स्वामी वित्त मंत्री जेटली पर निशाना साधते हैं।कांग्रेस भी इस प्रकरण में साफ तौर पर ये कहती रही कि स्वामी किसी न किसी तरह से वित्त मंत्रालय में खुद को काबिज देखना चाहते हैं। लिहाजा वो राजन के जरिए वित्त मंत्री जेटली पर निशाना साधते हैं।आम तौर पर स्वामी के बयानों पर चुप्पी साधने वाले जेटली के सब्र का बांध उस समय टूट गया, जब मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन पर निशाना साधा। वित्त मंत्री ने कहा कि गंभीर मुद्दों पर अनावश्यक तौर पर बयानबाजी से बचना चाहिए। स्वामी-जेटली-राजन के बीच इस तरह के बयानों के बाद सरकार की भी किरकिरी हो रही था। राजनीतिक दलों से लेकर आम लोगों में भी ये धारणा फैली की आखिर ये माजरा क्या है। पार्टी और सरकारल को किरकिरी से बचाने के लिए स्वामी को कई तरह के इशारे भी किए गए।लेकिन पीएम ने साफ कर दिया कि व्यवस्था और संस्था से बढ़कर कोई शख्स नहीं है। इस सच को सभी को स्वीकार करने की जरुरत है। ऐसे में एक अहम सवाल बना रहेगा कि क्या स्वामी की कमान से बयानों के तीर ऐसे ही निकलते रहेंगे, या वो विवादित बोल से बच कर सरकार के लिए परेशानी नहीं पैदा करेंगे।