स्वामी बोले, मुगलों से कोई लेना-देना नहीं, तो विवादित ढांचे से क्यों चिपके हैं मुस्लिम
स्वामी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए अध्ययन के तहत यह पाया गया कि विवादित ढांचा एक मंदिर के ऊपर बनाया गया था।
नई दिल्ली, एएनआइ। राम मंदिर के मुद्दे पर अपना रुख दोहराते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को जोर दिया कि मुसलमानों को विवादित ढांचे के मुद्दे से चिपके नहीं रहना चाहिए। जब उन्हें मुगलों द्वारा किए गए अत्याचारों से कुछ लेना-देना ही नहीं है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा, 'जब मैं मुगल अत्याचारों या सऊदी मस्जिदों को ध्वस्त करने की बात करता हूं, तो मुसलमान कहते हैं कि हमारे पास इस बारे में कहने को कुछ भी नहीं है, तो फिर आयोध्या के विवादित ढांचे से चिपके क्यों हैं?' अपने ट्वीट को जस्टिफाई करते हुए स्वामी ने बताया कि मुस्लिम नेतृत्व का ढोंग अब खत्म होना चाहिए, क्योंकि वे राम मंदिर के मुद्दे पर उजागर हो चुके हैं।
उन्होंने कहा, 'जब मैं कहता हूं कि मुगलों ने जबरन हिंदुओं को परिवर्तित कर दिया, उन्हें मार डाला, महिलाओं को अपने हरम आदि में ले गए, तब वे एक ही वाक्य कहते हैं कि उन्हें मुगलों से कोई लेना-देना नहीं है। यदि आपका मुगलों से कुछ लेना-देना नहीं है, आप क्यों उनके द्वारा विध्वंस राम मंदिर को फिर से बनाने पर आपत्ति जता रहे हैं। आप इसे गलत क्यों कह रहे हैं? आपको कहना चाहिए कि मुगलों से हमें कुछ लेना-देना नहीं है, आप हमें किसी दूसरी जगह मस्जिद बनाने के लिए जगह दे दीजिए। लेकिन वे ऐसा नहीं कहते, जिससे उनका दोहरा चरित्र नजर आता है।'
इससे पहले 4 मई को स्वामी ने कहा था कि यह सिद्ध हो चुका है कि आयोध्या में विवादित ढांचे से पहले एक मंदिर मौजूद है। स्वामी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए अध्ययन के तहत यह पाया गया कि विवादित ढांचा एक मंदिर के ऊपर बनाया गया था।
स्वामी ने अन्य मुस्लिम-बहुल देशों के उदाहरण दिए, जहां मस्जिदों को सड़कों, इमारतों आदि बनाने के लिए ध्वस्त कर दिया गया और कहा गया कि एक मस्जिद कहीं भी बनाई जा सकती है।
इससे पहले 21 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि अयोध्या विवाद एक संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा था। अच्छा होगा कि यह मामला सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटारा था। अदालत ने संबंधित पार्टियों को एक आम सहमति पर पहुंचने के लिए एक साथ बैठने के लिए कहा और सुब्रमण्यम स्वामी से पार्टियों से परामर्श करने व 31 मार्च को निर्णय के बारे में सूचित करने के लिए कहा है।
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