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अयोध्या में राम की पूजा के अधिकार पर सुब्रमण्यम स्वामी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

सोमवार को सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पूजा का अधिकार दिलाने की अर्जी दी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 09:49 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 09:49 PM (IST)
अयोध्या में राम की पूजा के अधिकार पर सुब्रमण्यम स्वामी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
अयोध्या में राम की पूजा के अधिकार पर सुब्रमण्यम स्वामी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, पीटीआइ। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर पूजा के अपने मूलभूत अधिकार की पूर्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है। साथ ही इस अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में स्वामी के प्रयास से ही राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई फास्ट ट्रैक पर आई है।

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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी पर विचार किया। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मौजूदगी वाली पीठ ने कहा, स्वामी का पूजा का अधिकार महत्वपूर्ण है लेकिन इसे स्थान के स्वामित्व के विवाद से जोड़कर देखा जाना चाहिए। पहले स्थान का स्वामित्व तय होना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, स्वामी की अर्जी पर तत्काल सुनवाई नहीं की जा सकती। इस मामले में केंद्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमन सिन्हा उपस्थित हुए थे।

इससे पहले 14 मार्च की सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ से श्याम बेनेगल और तीस्ता सितलवाड़ ने अनुरोध किया था कि अयोध्या मामले में केवल उन्हीं लोगों को सुना जाए जो मामले के मूल पक्ष हैं। उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी को मामले में हस्तक्षेप की अनुमति न दिए जाने का अनुरोध किया था। हालांकि स्वामी की ही अर्जी पर ही जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर की मौजूदगी वाली विशेष पीठ ने अयोध्या विवाद की सुनवाई को फास्ट टै्रक पर डाला। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 में आए फैसले में अयोध्या की विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया गया था। ये हिस्से सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बताए गए हैं। उसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

सोमवार को सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पूजा का अधिकार दिलाने की अर्जी दी है। यह देश के नागरिक के रूप में संविधान प्रदत्त मूलभूत अधिकार है, जो जायदाद के अधिकार से ऊपर है। इसलिए अर्जी को तत्काल सूचीबद्ध कर उस पर शीघ्र सुनवाई कराई जाए।


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