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सीबीआइ डायरेक्टर पर मातहत अधिकारी ने लगाया अनियमितता का आरोप, कोर्ट में याचिका दायर

सीबीआइ डायरेक्टर शुक्ला को पुलिस महकमे में ईमानदार अधिकारियों में गिना जाता है। अपने 37 साल के सेवा काल के दौरान उन पर एक भी आरोप नहीं लगा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 09:14 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 09:15 PM (IST)
सीबीआइ डायरेक्टर पर मातहत अधिकारी ने लगाया अनियमितता का आरोप, कोर्ट में याचिका दायर
सीबीआइ डायरेक्टर पर मातहत अधिकारी ने लगाया अनियमितता का आरोप, कोर्ट में याचिका दायर

अभिषेक दुबे, भोपाल। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के डायरेक्टर और मध्य प्रदेश के 1984 बैच के आइपीएस अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला 80 अधिकारियों के तबादलों को लेकर विवादों में आ गए हैं। सीबीआइ के दिल्ली मुख्यालय में पदस्थ उनके मातहत डीएसपी एनपी मिश्रा ने शुक्ला पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए पीएमओ में शिकायत की है। मिश्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की है। याचिका की 21 अप्रैल को सुनवाई होगी।

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सीबीआइ में पांच साल से एक ही ब्रांच में जमे और 10 साल से एक ही स्टेशन पर पदस्थ अधिकारी

सीबीआइ में पांच साल से एक ही ब्रांच में जमे और 10 साल से एक ही स्टेशन पर पदस्थ होने का आधार बनाकर गत माह 80 अधिकारियों के तबादले किए गए थे। डीएसपी मिश्रा ने इसमें अनियमितता का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की है। याचिका में मिश्रा ने कहा कि सीबीआइ डायरेक्टर शुक्ला, सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर अजय भटनागर, डिप्टी डायरेक्टर अनुराग (मप्र कैडर के आइपीएस), एसपी मनोज वर्मा, ज्वाइंट डायरेक्टर साई मनोहर (मप्र कैडर के आइपीएस) और ज्वाइंट डायरेक्टर अमित कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'न खाउंगा, न खाने दूंगा' के सपने को खत्म कर रहे हैं।

15 साल से जमे अधिकारियों को बख्शा

मिश्रा का आरोप है कि पांच और 10 साल से एक ही स्थान पर जमे अधिकारियों के तबादले किए गए हैं, जबकि कई अधिकारी तो ऐसे हैं, जो 15 साल से एक ही स्थान पर जमे हैं। उनके तबादले नहीं किए गए हैं। मिश्रा ने उन अधिकारियों की सूची भी याचिका के साथ लगाई है, जो 15 साल से एक ही स्थान पर जमे हैं।

तबादलों का हो विशेष ऑडिट

मिश्रा ने मांग की है कि जनवरी 2020 में सीबीआइ में किए गए तबादलों का विशेष ऑडिट कराया जाना चाहिए। इससे पूरी गड़बड़ी उजागर हो जाएगी। गौरतलब है कि सीबीआइ प्रमुख शुक्ला मप्र कैडर के अधिकारी हैं। जनवरी 2019 में राज्य सरकार ने उन्हें डीजीपी पद से हटाया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें सीबीआइ डायरेक्टर नियुक्त किया था।

डीएसपी मिश्रा पहले भी लगाते रहे हैं आरोप

यह पहला मौका नहीं है जब डीएसपी मिश्रा ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं। इसके पहले भी उन्होंने सितंबर 2019 को पीएमओ को पत्र लिखकर सीबीआइ के ज्वाइंट डायरेक्टर एके भटनागर पर झारखंड में 14 लोगों का फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगाया था।

नो स्टोरीज, नो टॉक

मिश्रा के आरोपों को लेकर सीबीआइ डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला से पूछा गया तो उन्होंने एसएमएस के जरिये जवाब दिया- 'सॉरी नो स्टोरीज, नो टॉक'Þ (कोई स्टोरी नहीं, कोई बात नहीं करना चाहते।)

बेदाग छवि के अधिकारी माने जाते हैं सीबीआइ डायरेक्टर शुक्ला

सीबीआइ डायरेक्टर शुक्ला को पुलिस महकमे में ईमानदार अधिकारियों में गिना जाता है। अपने 37 साल के सेवा काल के दौरान उन पर एक भी आरोप नहीं लगा है। उनके द्वारा केंद्र सरकार में एक जनवरी 2020 को दिए संपत्ति के विवरण में केवल दो अचल संपत्ति का उल्लेख है। इनमें से एक संपत्ति भोपाल के चूना भट्टी स्थित जानकी नगर में बताई है। यह 1500 वर्गफीट भूखंड पर बना मकान है, जिसकी कीमत 75 लाख है। वहीं, दूसरी ग्वालियर में उनकी पैतृक संपत्ति है, जो 625 वर्गफीट पर आवासीय मकान बताया है। इसकी कीमत शुक्ला ने तीन लाख रुपये बताई है। 


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