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शौच के बाद धोने का भारतीय तरीका है टॉयलेट पेपर से बेहतर : स्टडी

शौच एक नित्य कर्म है और यह व्यक्तिगत स्वच्छता यानि पर्सनल हाइजीन से जुड़ा मामला भी है। शौच के बाद टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल और पानी से धोने को लेकर तमाम लोगों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 10:16 PM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 05:18 AM (IST)
शौच के बाद धोने का भारतीय तरीका है टॉयलेट पेपर से बेहतर : स्टडी

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। 'जहां सोच, वहां शौचालय' और 'स्वच्छ भारत मिशन' के तहत देश में शौचालय निर्माण और इस्तेमाल की सीख दी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पहल का लक्ष्य यही है कि देश साफ सुथरा बने और लोग बीमार न पड़ें। शौचालय निर्माण के भी कई निहितार्थ हैं- इससे दुनिया में भारत की छवि तो अच्छी बनेगी ही, खुले में शौच की शर्मिंदगी से भी निजात मिलेगी। गंदगी कम होगी तो बीमारियां कम होंगी और बीमारियां कम होंगी तो उन पर खर्चा भी कम होगा। लेकिन कई लोगों के मन में प्रश्न होता है कि शौचालय में टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल ठीक है या पानी का? चलिए समझते हैं दोनों में कौन बेहतर है...

शौच एक नित्य कर्म है और यह व्यक्तिगत स्वच्छता यानि पर्सनल हाइजीन से जुड़ा मामला भी है। शौच के बाद टॉयलेट पेपर के इस्तेमाल और पानी से धोने को लेकर तमाम लोगों के अपने-अपने तर्क हो सकते हैं। लेकिन एक हालिया रिसर्च बताती है कि इस मामले में हम भारतीयों का नजरिया ज्यादा बेहतर है। यानि शौच के बाद टॉयलेट पेपर की बजाय सफाई के लिए पानी ही बेहतर विकल्प है।

किन देशों में शौच की कैसी आदतें

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जापान, इटली और ग्रीस जैसे देशों में शौच के बाद सफाई के लिए प्रेशर शावर यानि पानी का इस्तेमाल आम है। जबकि ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में लोग नित्य कर्म के बाद सफाई के लिए आमतौर पर टॉयलेट पेपर का इस्तेमाल करते हैं।

डॉक्टरों का क्या है कहना

डॉक्टरों का मानना है कि टॉयलेट पेपर से पूरी सफाई नहीं होती। यही नहीं, डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इसके ज्यादा इस्तेमाल के एनल फिशर (प्राइवेट पार्ट में फटने और जलन की समस्या) या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (मूत्र संक्रमण) जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।



ज्यादा इस्तेमाल से हो सकता है बवासीर

टॉयलेट पेपर का विकल्प ढूंढने का मामला सिर्फ सफाई तक ही सीमित नहीं है। यह कई तरह से आपको नुकसान पहुंचा सकता है। हम पहले ही बात कर चुके हैं कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से त्वचा फटने की समस्या भी हो सकती है, जिसे ठीक होने में तीन महीने तक का भी वक्त लग सकता है। यही नहीं ज्यादा इस्तेमाल से बवासीर भी हो सकता है।

द बिग नेसेसिटी: द अनमेंसनेबल वर्ल्ड ऑफ ह्यूमन वेस्ट एंड व्हाइ इट मैटर्स की लेखिका रोज जॉर्ज टॉयलेट पेपर इस्तेमाल करने के बारे में कहती हैं, 'मुझे ऐसा लगता है जैसे लाखों लोग अपने शरीर पर गंदगी लेकर घूम रहे हैं, जबकि उन्हें लगता है कि वे साफ हैं।' वह नहीं मानती की टॉयलेट पेपर व्यक्तिगत सफाई के लिए उपयुक्त है।

इन्होंने टॉयलेट पेपर का विकल्प ढूंढा

हालांकि हम पहले ही बता चुके हैं कि रिसर्च में पानी से सफाई को ही सबसे बेहतर विकल्प बताया गया है, लेकिन कुछ लोग टॉयलेट पेपर का विकल्प कुछ और भी तलाश रहे हैं। जॉर्ज और कई अन्य सेलेब्रिटीज को गीले पेपर (वेट वाइप्स) के रूप में इसका विकल्प मिला है। कई लोग तो नित्य कर्म से निपटने के बाद सफाई के लिए बेबी वाइप्स के इस्तेमाल को भी अच्छा विकल्प बता रहे हैं।

आधुनिक जीवनशैली और टॉयलेट पेपर

हम लोग तेजी से पश्चिम देशों की जीवन शैली को अपना रहे हैं। लेकिन यहां हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम खुद पर एक फिल्टर लगाएं। वहां से जो अच्छी चीजें आ रही हैं उन्हें न रोका जाए, लेकिन जो चीजें हमें नुकसान पहुंचा सकती हैं उनके इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए। घरों और दफ्तरों में जहां तक हो सके नित्य कर्म के बाद व्यक्तिगत सफाई के लिए पानी का इस्तेमाल करें। यही नहीं बाद में अच्छे हैंडवाश से हाथ भी धोएं। 


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