खाड़ी देशों के छात्रों ने कहा- कोरोना संक्रमण के चलते नीट की परीक्षा देने भारत आना पीड़ादायक
कोविड-19 के खतरे के बीच नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) देने के लिए खाड़ी देशों से आने वाले छात्र असहज महसूस कर रहे हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। कोविड-19 के खतरे के बीच नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) देने के लिए खाड़ी देशों से आने वाले छात्र असहज महसूस कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि परीक्षा देने के लिए भारत की हवाई यात्रा करना न केवल तनावपूर्ण है, बल्कि अव्यवहारिक भी है।
कोरोना काल में जोखिम के चलते कुछ छात्रों ने लिया नीट परीक्षा को छोड़ने का निर्णय
उन्होंने कहा है कि कोरोना काल में जोखिम के साथ ही उन्हें बेवजह क्वारंटाइन भी होना पड़ेगा। यही कारण है कि कुछ छात्रों ने इस बार की नीट परीक्षा को छोड़ने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में दुबई के छात्र रोस्टन मेंडोंका ने कहा, 'मेरे पास क्या विकल्प है? यह अव्यावहारिक है।' मेंडोंका ने दुबई से फोन पर बताया कि अगर वह अगली संभावित वंदे भारत की फ्लाइट ले भी लें तो भी परीक्षा होने तक अपनी क्वारंटाइन की अवधि पूरी नहीं कर पाएगा।
खाड़ी देशों में नीट परीक्षा केंद्रों की अनुमति न मिलने से छात्र परेशान
कई भारतीय छात्रों ने भी कहा कि खाड़ी देशों में नीट परीक्षा केंद्रों की अनुमति न देने के सुप्रीम कोर्ट के इन्कार ने उन्हें परेशानी में डाल दिया है।
13 सितंबर को नीट और 1 से 6 सितंबर को जेईई मेन्स की परीक्षा
गौरतलब है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा आयोजित करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने 13 सितंबर को नीट और 1 से 6 सितंबर को संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन्स आयोजित करने का फैसला किया है।