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सोशल मीडिया से रकम जुटाकर छात्रों ने स्कूल को किया सुरक्षित, अन्य लोगों से भी मिली मदद

पहाड़ के करीब बने इस स्कूल के आसपास वन्य जीव आति रहते हैं। ऐसे में यहां सुरक्षा के लिए पक्के अहाते की मांग की जा रही थी।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 08:03 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 08:03 PM (IST)
सोशल मीडिया से रकम जुटाकर छात्रों ने स्कूल को किया सुरक्षित, अन्य लोगों से भी मिली मदद
सोशल मीडिया से रकम जुटाकर छात्रों ने स्कूल को किया सुरक्षित, अन्य लोगों से भी मिली मदद

कोरबा, जेएनएन। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित शासकीय प्राइमरी स्कूल गढ़कटरा के बच्चों व शिक्षक ने मिलकर एक अनूठी पहल की है। पहाड़ के करीब बने इस स्कूल के आसपास वन्य जीव आति रहते हैं। ऐसे में यहां सुरक्षा के लिए पक्के अहाते की मांग की जा रही थी। लेकिन जब प्रशासन ने मांग अनसुनी की तो बच्चों ने शिक्षकों की मदद से स्कूल की तार फेंसिंग का इंतजाम खुद ही कर लिया। जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल एक पहाड़ी के नजदीक है। यहां जंगल से भालू-तेंदुए जैसे वन्य प्राणियों का आना-जाना लगा रहता है।

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स्कूल परिसर में बाड़ी भी लगाई गई है, जिसे गांव के पालकों, शिक्षकों व बच्चों ने तैयार किया है। सुरक्षा न होने से मवेशी पौधों को चर जाते थे। शासन-प्रशासन से पक्की दीवार के लिए मदद की गुजारिश की गई, लेकिन अफसरों ने ध्यान नहीं दिया। समस्या व सुरक्षा का स्थायी उपाय निकालने के लिए शिक्षक श्रीकांत अनुभव व बच्चों ने सोशल मीडिया पर लोगों को अपनी समस्या बताई। इसके बाद सामुदायिक सहभागिता से 42 हजार रुपये मिल गए। सरपंच ने सीमेंट व 60 खंभे दिए। पालक हरिहर सिंह ने रेत तो मोहन कंवर ने गिट्टी उपलब्ध कराई। सोशल मीडिया के जरिए एकत्रित राशि से फेंसिंग तार खरीदा गया।

पालकों के अलावा ग्रामीण भी श्रमदान के लिए सामने आए। हफ्ते में दो दिन फेंसिंग निर्माण में ग्रामीणों ने योगदान दिया और चार दिन के सामूहिक प्रयास से स्कूल में सुरक्षा का स्थायी इंतजाम हो गया। यदि हम ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं स्कूल परिसर में फेंसिंग निर्माण में बच्चों की सहायता करने वाले शिक्षक श्रीकांत ने बताया कि ग्रामीण स्कूल परिसर में अहाता निर्माण के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट रहे थे। इस बीच स्कूल के बच्चों ने सोशल मीडिया में इस समस्या को रखा। मैंने ग्रामीणों से मेहनत का योगदान मांगा। ग्रामीण सहमत हो गए और उसका एक सुखद परिणाम सब के सामने है। किसी भी कार्य के लिए एक ठोस रणनीति के साथ एक कार्ययोजना की आवश्यकता होती है। इस कार्य को पूरा करने में गांव की महिला स्व-सहायता समूह का भी योगदान रहा।


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