जागरण का असर: रेसलर बिटिया को मिली सफलता, आया सशस्त्र सीमा बल से बुलावा
जागरण सरोकार में नारी सशक्तीकरण के रूप में प्रकाशित लक्ष्मी देवी के संघर्ष की प्रेरक कहानी का शीर्षक था- झोपड़ी में पालकर बेटियों को बनाया नेशनल रेसलर।
बागपत (मनोज कलीना)। तंबू में पालकर अपनी दो बेटियों को नेशनल रेसलर बनाने वाली विधवा मां लक्ष्मी देवी की साधना आखिरकार सफल हो गई है। उनकी बिटिया को सशस्त्र सीमा बल से बुलावा आ गया है। यह भी महज इत्तेफाक है कि दैनिक जागरण ने 20 दिसंबर के अंक में ही लक्ष्मी देवी के संघर्ष की गाथा प्रकाशित की थी और इसी दिन लक्ष्मी की मुराद भी पूरी हो गई।
जागरण सरोकार में नारी सशक्तीकरण के रूप में प्रकाशित लक्ष्मी देवी के संघर्ष की प्रेरक कहानी का शीर्षक था- झोपड़ी में पालकर बेटियों को बनाया नेशनल रेसलर। इसमें लक्ष्मी देवी ने बेटियों के भविष्य को लेकर चिंता साझा की थी। उन्होंने कहा था, बेटियों को आत्मरक्षा में सक्षम तो बना दिया, लेकिन अब इन्हें नौकरी मिल जाए तो इनके भविष्य को लेकर चिंता भी मिट जाएगी। बुधवार को स्टोरी प्रकाशित होने के बाद नीलम ने जागरण को फोन कर धन्यवाद दिया साथ ही यह खबर भी दी कि आज ही उनके पास सशस्त्र सीमा बल से नियुक्ति पत्र पहुंचा है। गांव में मानो जश्न का माहौल है। नीलम ने बताया कि मां बहुत खुश हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती में जौहर दिखाने के बाद नीलम को सीमा सुरक्षा बल में खेल कोटे से नियुक्ति मिली है। कुछ साल पहले लक्ष्मी देवी के पति की हत्या के बाद गुंडों ने उन्हें गांव छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। वह अपना सब कुछ छोड़कर संतनगर में आ बसीं। उनके पास रहने के लिए मकान नहीं था, खाने के लिए अनाज नहीं। मेहनत मजदूरी कर वह तंबूनुमा झोपड़ी में दोनों बेटियों के साथ रहीं। गुंडों ने यहां भी पीछा नहीं छोड़ा। हालात से लड़ने के लिए मां ने अपनी दोनों बेटियों मेघना व नीलम तोमर को पहलवान बनाने की ठानी। लक्ष्मी की मेहनत रंग लाई और उनकी बड़ी बेटी नीलम को देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तैनात होने वाले अद्र्धसैनिक बल एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) में खेल कोटे से कांस्टेबल पद पर नियुक्ति मिल गई है।
एसएसबी की दिल्ली के घिटोरनी अर्जुनगढ़ स्थित 25वीं बटालियन के कमांडेंट वी. विक्रमन द्वारा प्रेषित ज्वाइनिंग लेटर बुधवार को डाक द्वारा संतनगर पहुंचा तो परिवार व गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। नीलम ने अपने चयन पर खुशी व्यक्त करते हुए इसका श्रेय अपनी मां लक्ष्मी देवी को दिया। नीलम के चयन पर खुशी जाहिर करते हुए बड़ौत स्थित एक कारोबारी ने दूसरी बेटी मेघना की तैयारियों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की।
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