देश में सेमीकंडक्टर क्रांति की ओर बढ़ रहे हैं कदम, सरकार ने 10 अरब डालर का बजट किया है स्वीकृत
महाराष्ट्र कर्नाटक और तमिलनाडु में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश होने जा रहा है। पीएम मोदी ने मोदी इस सदी को टेकेड युग यानी टेक्नोलाजी का युग नाम देते हुए सेमीकंडक्टर निर्माण का उल्लेख किया है।
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली: लाल किले की प्राचीर से जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सदी को टेकेड युग यानी टेक्नोलाजी का युग नाम देते हुए सेमीकंडक्टर निर्माण का उल्लेख किया तो समझा जा सकता है कि आने वाले समय में भारत के लिए यह क्षेत्र बहुत अहम होने जा रहा है। इसी बीच मंगलवार को इंडिया इलेक्ट्रानिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन (आइईएसए) ने उम्मीद जताई है कि देश के सेमीकंडक्टर उपकरण बाजार का आकार वर्ष 2026 तक 300 अरब डालर होने की उम्मीद है। आने वाले वर्षों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) योजना से घरेलू सेमी-कम्पोनेंट्स को बढ़ावा मिलेगा।
यही कारण है कि देश इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश होने जा रहा है। सेमीकंडक्टर क्या है? भारत के लिए इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना क्यों जरूरी है और उपरोक्त तीन राज्यों सहित इस क्षेत्र में निवेश की स्थिति को दर्शाती एक रिपोर्ट:
कोविड महामारी ने अहसास दिलाया कि क्यों जरूरी है इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना
डाटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिस दौर में हम प्रवेश कर चुके हैं, वहां सेमीकंडक्टर की भूमिका सबसे अहम है। मोबाइल हो या कार, कंप्यूटर हो या घरेलू से लेकर वाणिज्यिक उपयोग में आने वाली छोटी-बड़ी मशीनें, सभी में सेमीकंडक्टर का उपयोग हो रहा है। अन्य देशों की तरह भारत भी अब तक सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में विदेश, खासकर ताइवान पर निर्भर है। लंबे अरसे से यह मांग उठ रही थी कि भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहिए, लेकिन कोविड महामारी के दौरान जब अंतरराष्ट्रीय बाजार से सेमीकंडक्टर की आपूर्ति कम होने से भारतीय उद्योगों पर इसका प्रभाव पड़ने लगा तब इसकी आवश्यकता महसूस की गई कि देश को सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहिए।
ताइवान, चीन, द. कोरिया व जापान से आयात
भारत में बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर का आयात ताइवान, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से होता है। बात अगर सेमीकंडक्टर की वैश्विक आपूर्ति की करें तो इसमें अकेले ताइवान की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ताइवान में ही सेमीकंडक्टर बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (टीएसएमसी) है। वर्तमान स्थिति में चीन और ताइवान के बीच बिगड़ते रिश्तों के कारण भारत का इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना बेहद जरूरी हो गया है। यदि समय रहते तैयारी नहीं की गई तो हमारे आइटी सहित अन्य औद्योगिक सेक्टर पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
इंटेल के पूर्व चेयरमैन और सीईओ क्रेग बैनेट के अनुसार आज तक हमने जो भी आविष्कार किए हैं, उनमें सेमीकंडक्टर माइक्रोप्रोसेसर सबसे ज्यादा जटिल खोज है।
सेमीकंडक्टर चिप यानी इलेक्ट्रानिक डिवाइस का दिमाग
- सेमीकंडक्टर एक खास तरह का पदार्थ होता है। इसमें विद्युत के सुचालक और कुचालक के गुण होते हैं।
- ये विद्युत के प्रवाह को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इनका निर्माण सिलिकान से होता है।
- इसमें कुछ विशेष तरह की डोपिंग को मिलकर इसके सुचालक गुणों में बदलाव लाया जाता है।
- इससे इसके वांछनीय गुणों का विकास होता है और इसी पदार्थ का इस्तेमाल करके विद्युत सर्किट चिप बनाया जाता है।
- इसके जरिए डाटा प्रोसेसिंग होती है। आसान शब्दों में यह इलेक्ट्रानिक डिवाइस का दिमाग है।
डिजिटल होता जीवन
- देश में 1.3 अरब से अधिक नागरिकों को जोडऩे के लिए डिजिटल इंफ्रा का निर्माण हो रहा है।
- हम अगली प्रौद्योगिकी क्रांति के नेतृत्व का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। 5जी, आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस, आइओटी (इंटरनेट आफ थिंग्स), स्वच्छ ऊर्जा आदि पर तेजी से काम हो रहा है।