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मोटर एक्ट लागू न किए जाने पर इन राज्यों ने बताई वजह, CAG कर सकती है जांच

अधिकारियों के अनुसार मोटर एक्ट के तहत केवल कंपाउंडिंग अपराधों में ही पुलिस को मौके पर जुर्माना वसूलने का अधिकार है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 06:17 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 06:54 PM (IST)
मोटर एक्ट लागू न किए जाने पर इन राज्यों ने बताई वजह, CAG कर सकती है जांच
मोटर एक्ट लागू न किए जाने पर इन राज्यों ने बताई वजह, CAG कर सकती है जांच

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यों के पास संशोधित मोटर एक्ट को लागू करने के अलावा कोई चारा नहीं है। वे इसे लागू करने में विलंब भले कर लें, लेकिन इनकार नहीं कर सकते। जिन राज्य सरकारों ने अभी तक एक्ट को लागू नहीं किया है, उन्हें भी देर-सबेर इसे लागू करना ही होगा। अन्यथा वे कैग के सवालों के घेरे में आ जाएंगी।

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ऐसी खबरें आई हैं कि मध्य प्रदेश और पंजाब की राज्य सरकारों ने अपने यहां संशोधित मोटर एक्ट को लागू करने से मना कर दिया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो बाकायदा ट्वीट करके इस बारे में जानकारी दी है। उनका कहना है कि नए जुर्माने बहुत ज्यादा है जिनसे आम आदमी भारी दिक्कत में पड़ सकता है। इसलिए पहले वे एक्ट का अध्ययन करेंगे और उसके बाद कोई फैसला लेंगे। पंजाब सरकार भी एक्ट को लागू करने में आनाकानी कर रही है।

राज्यों को जुर्माना बढ़ाने का अधिकार
इस विषय में पूछे जाने पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यों के पास एक्ट को लागू करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। एक्ट में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि राज्य सरकारें जुर्माने बढ़ा तो सकती हैं, घटा नहीं सकतीं। केंद्र द्वारा निर्धारित जुर्माने न्यूनतम हैं। राज्य सरकारें इनमें दस गुना तक बढ़ोतरी कर सकती हैं। जो राज्य एक्ट को लागू करने में जितनी देर करेगा उसे उतना मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि यदि पुराने एक्ट के आधार पर कम जुर्माने वसूल किए गए तो ऑडिट के वक्त राज्य का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) पूछेगा कि बाकी राशि कहां गई? उसका हिसाब दो।

इसलिए बढ़े जुर्माने वसूलने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस संबंध में अधिसूचना निकालने में राज्य जितनी देर करेंगे उनका उतना नुकसान होगा। अधिकारी का कहना है कि जो राज्य सरकारें मोटर एक्ट के प्रावधानों के समवर्ती सूची में होने का हवाला देकर इन्हें लागू न करने के बयान दे रही हैं, उन्हें संशोधित एक्ट को ठीक से पढ़ना चाहिए।

कंपाउंडिंग व अनकंपाउंडिंग अपराध
अधिकारियों के अनुसार मोटर एक्ट के तहत केवल कंपाउंडिंग अपराधों में ही पुलिस को मौके पर जुर्माना वसूलने का अधिकार है। संशोधित मोटर एक्ट के मुताबिक छोटे-मोटे यातायात उल्लंघन के 14 तरह के मामले कंपाउंडिंग अपराध की श्रेणी में आते हैं। इनमें बिना टिकट या पास के यात्रा करना, अनधिकृत व्यक्ति को गाड़ी चलाने की अनुमति देना, अधिकारी के आदेशों का उल्लंघन या न मानना, बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना, लाइसेंस निलंबित या जब्त होने के बाद भी गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर बात करना, रेसिंग, बिना रजिस्ट्रेशन के गाड़ी चलाना, बिना परमिट के गाड़ी चलाना, सीट बेल्ट लगाए बगैर गाड़ी चलाना, हेलमेट पहने बिना दुपहिया चलाना तथा एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड जैसे आपात वाहनों का रास्ता रोकना।

इसके विपरीत ट्रैफिक लाइट जंप करना, ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाना उलटी दिशा में गाड़ी चलाना, 18 वर्ष से कम उम्र में गाड़ी चलाना आदि गंभीर उल्लंघन या अनकंपाउंडिंग श्रेणी में आते हैं। इनमें मौके पर जुर्माना करने के बजाय पुलिस द्वारा चालान कोर्ट भेजा जाना चाहिए और वहीं से जुर्माना या सजा या दोनो तय होनी चाहिए।

दूसरा उल्लंघन अनकंपाउंडिंग
वैसे दूसरी या तीसरी बार उल्लंघन की दशा में कंपाउंडिंग के अपराध भी अनकंपाउंडिंग श्रेणी में आ जाते हैं जिनमें कोर्ट द्वारा जुर्माने के साथ कैद की सजा भी दी जाती है। उदाहरण के लिए बिना परमिट ट्रक चलाते हुए पहली बार पकड़ा जाना कंपाउंडिंग अपराध में आएगा। परंतु दूसरी या तीसरी बार पकड़े जाने पर ये अनकंपाउंडिंग हो जाएगा जिसमें 10 हजार रुपये के जुर्माने के साथ-साथ कोर्ट द्वारा एक साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है।

इसे अलावा प्रत्येक यातायात उल्लंघन में जुर्माना वसूलने या चालान काटने के लिए पुलिस अधिकारी का स्तर और ओहदा तय है। हर एक पुलिस वाला हर तरह का चालान या जुर्माना नहीं लगा सकता। इसके लिए राज्य सरकारों को बाकायदा अधिसूचना जारी कर अधिकारियों के अधिकार तय करने पड़ते हैं।

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