कृषि कानूनों को निरस्त करने की कवायद: राज्यों के पास केंद्र को अंगूठा दिखाने का अधिकार नहीं
राज्य का कोई भी बिल तभी कानून बनता है जबकि राज्यपाल उसे मंजूरी देते हैं। राज्यपाल भी विधानसभा का हिस्सा होता है। राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं वे मंजूरी दे सकते हैं विधेयक को रोक सकते हैं राष्ट्रपति को भेज सकते हैं।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। हाल में संसद से पास हुए केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करते हुए हाल में पंजाब ने तीन विधेयकों को पारित तो कर लिया, लेकिन यह एक राजनीतिक संकेत से ज्यादा नहीं। दरअसल इन विधेयकों पर न सिर्फ राष्ट्रपति की मंजूरी चाहिए बल्कि इसके बाद भी केंद्र को अधिकार होगा कि इसी विषय पर नया कानून बनाए या फिर राज्यों के संशोधित कानूनों को निरस्त कर दे।
कांग्रेस शासित राज्यों में केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की कवायद शुरू
पंजाब के बाद अब छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में पंजाब की तर्ज पर ही विधानसभा से कानून लाकर केंद्रीय कानून को निरस्त करने की कवायद शुरू हो रही है, लेकिन संविधान के जानकारों के अनुसार संविधान समवर्ती सूची के विषय पर राज्यों के पास इस तरह केंद्र को अंगूठा दिखाने का अधिकार ही नहीं है।
राष्ट्रपति से मंजूरी मिली तो भी केन्द्र के पास दोबारा उसी विषय पर नया कानून बनाने का अधिकार
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि अभी विधानसभा ने बिल पास किया है वह कानून नहीं बना है। केंद्रीय कानून को निष्प्रभावी करने वाले विधेयक को राज्यपाल सहमति नहीं देंगे। हो सकता है कि राज्यपाल बिल को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजें। इसका मतलब है कि मामला फिर केन्द्र के पास आएगा।
तीन विकल्प: राज्यपाल बिल को मंजूरी दे सकते हैं, रोक सकते हैं, राष्ट्रपति को भेज सकते हैं
राज्य का कोई भी बिल तभी कानून बनता है जबकि राज्यपाल उसे मंजूरी देते हैं। राज्यपाल भी विधानसभा का हिस्सा होता है। राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं वे मंजूरी दे सकते हैं, विधेयक को रोक सकते हैं, राष्ट्रपति को भेज सकते हैं। राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है।
कांग्रेस शासित राज्यों की कवायद राजनीतिक कदम भर साबित होगी
स्पष्ट है कि कांग्रेस शासित राज्यों की कवायद राजनीतिक कदम भर साबित होगी। गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि कानून के बाद सबसे पहले पंजाब सरकार और वहां के राजनीतिक दलों की ओर से पूरे राज्य को मंडी बनाने की बात हुई थी ताकि मंडी कांप्लैक्स के बाहर अनाज पर कोई टैक्स न लगने के कानून को निष्प्रभावी बनाया जा सके। नए विधेयक में पंजाब सरकार ने एमएसपी को आवश्यक बनाया है।