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Motor Vehicles Act: जुर्माना घटाने वाले राज्यों को सड़क मंत्रालय की चेतावनी, नहीं कर सकते बदलाव

Motor Vehicles Act सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकार इसके खिलाफ कोई भी कानून पारित नहीं कर सकती है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 09:59 PM (IST)
Motor Vehicles Act: जुर्माना घटाने वाले राज्यों को सड़क मंत्रालय की चेतावनी, नहीं कर सकते बदलाव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्य सरकारों को राष्ट्रपति की मंजूरी के बगैर संशोधित मोटर एक्ट के तहत निर्धारित जुर्मानों में कमी करने का अधिकार नहीं है। यदि कोई राज्य सरकार इससे इतर जुर्माने घटाती है तो इसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए केंद्र सरकार वहां राष्ट्रपति शासन भी लगा सकती है।

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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सोमवार को राज्यों को ये चेतावनी जारी की। राज्यों के परिवहन विभाग के प्रधान सचिवों/सचिवों के नाम जारी एडवाइजरी में संशोधित मोटर एक्ट के तहत बढ़े जुर्मानों को लागू करने में कुछ राज्यों की आनाकानी अथवा जुर्मानों में कमी का संदर्भ लिया गया है।

नहीं कर सकते जुर्मानों में कमी

सड़क मंत्रालय के अवर सचिव के हस्ताक्षर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है, एक राज्य ने अपने यहां मोटर एक्ट, 1988 की धारा 200 के आधार पर कुछ यातायात अपराधों में कंपाउंडिंग के तहत जुर्मानों में कमी करने की अधिसूचनाएं जारी की हैं। इस संबंध में सड़क मंत्रालय ने विधि एवं न्याय मंत्रालय से कानूनी राय मांगी थी। जिस पर विधि मंत्रालय ने अटॉर्नी जनरल से परामर्श किया था। अटॉर्नी जनरल का कहना है, 'मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019 के जरिये संशोधित मोटर वाहन अधिनियम, 1988 संसदीय कानून है। जिसके अनुसार राज्य सरकारें राष्ट्रपति की मंजूरी के बगैर मोटर एक्ट में निर्धारित जुर्मानों में कमी का न तो कानून पारित कर सकती हैं और न ही अधिसूचना जारी कर सकती हैं।'

राज्यों के लिए चेतावनी

ध्यान रहे कि कई राज्यों ने अपनी सुविधा के अनुसार जुर्माने की राशि कम कर दी है और पिछले दिनों में इसके क्रियान्वयन में भी सुस्ती है। ऐसे में केंद्र की यह एडवाइजरी एक तरह की चेतावनी है।

कानून का पालन नहीं करने पर कार्रवाई

मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, केंद्र को यह हक है कि केंद्रीय सूची में आने वाले विषयों पर बने कानून का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की जाए। दरअसल, यह संवैधानिक अधिकारों का हनन माना जाता है और उसी अनुसार ऐसे में केंद्र को धारा 356 तक के प्रयोग का हक होता है जिसके तहत राष्ट्रपति शासन लगता है। हालांकि इसके लिए कई प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।

सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है मकसद

अटॉर्नी जनरल के अनुसार, मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में राज्यों के कंपाउंडिंग संबंधी अधिकारों को लेकर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं है। इसलिए धारा 200 के तहत जुर्मानों को कंपाउंड करने की अधिसूचना एक्ट के प्रावधानों के अनुसार ही जारी की जानी चाहिए। चूंकि मोटर वाहन संशोधन कानून, 2019 में जुर्माने बढ़ाने का मकसद सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए यातायात उल्लंघनों पर लगाम लगाना है, इसलिए राज्य सरकारों को इसी भावना के अनुरूप एक्ट के प्रावधानों को लागू करना चाहिए।


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