स्टेट चैंपियन मुक्केबाज लगा रही घरों में झाड़ू-पोंछा
उम्र 16 साल। मुक्केबाजी में स्टेट चैंपियन। हसरत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश और देश का नाम रोशन करने की। सिर पर मां-बाप का साया नहीं। पढ़ने और खेल का खर्च उठाने के लिए पैसे तक नहीं। फिर भी रिशु मित्तल है कि हार मानने को तैयार नहीं। हरियाणा की यह
कैथल [संजीव गुप्ता]। उम्र 16 साल। मुक्केबाजी में स्टेट चैंपियन। हसरत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश और देश का नाम रोशन करने की। सिर पर मां-बाप का साया नहीं। पढ़ने और खेल का खर्च उठाने के लिए पैसे तक नहीं। फिर भी रिशु मित्तल है कि हार मानने को तैयार नहीं। हरियाणा की यह बिटिया लोगों के घरों में सुबह-शाम झाड़-पोंछा लगाकर अपने सपनों को जिंदा रखने की हर कोशिश कर रही है।
स्थानीय जाट स्कूल में दसवीं कक्षा की छात्र रिशु ने बताया कि वह अपने भाई के साथ रहती हैं। भाई एक दुकान पर काम करता है। उसे पांच हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। इससे घर का गुजारा मुश्किल से चलता है। लिहाजा मुङो कोठियों में झाड़-पोंछा लगाना पड़ता है। काम करने बाद स्कूल जाती हूं, जबकि शाम को स्टेडियम में अभ्यास करती हूं। बीच में जो समय बचता है उसमें झाड़-पोंछा सहित सफाई का काम करती हूं। पिता की छह महीने पहले मौत हो चुकी है। मां मानसिक रूप से विक्षिप्त थी और पिछले दो साल से लापता है। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है।
मुक्केबाजी का हब कहे जाने वाले हरियाणा में उभरती खिलाड़ी की यह दुर्दशा ओलंपिक पदक विजेता खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये बांट कर खूब वाहवाही बटोरने वाली हरियाणा सरकार का एक और चेहरा बयां करती है। रिशु को कोचिंग दे रहे कोच राजेंद्र सिंह ने बताया कि स्टेट लेवल पर गोल्ड जीतने पर रिशु का नाम विंग में आ गया है। विंग में शामिल हर खिलाड़ी को हरियाणा सरकार प्रतिमाह दो हजार रुपये देती है, लेकिन यह पैसा एक साल बाद मिलता है।
46 किग्रा भार वर्ग में हैं चैंपियन
रिशु ने सितंबर 2014 में राय स्तर पर 46 किलो भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। दिसबंर 2014 में उसने ग्वालियर में हुए राष्ट्रीय खेलों में प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। इससे पूर्व 2013 में फरीदाबाद और 2012 में भिवानी में हुए राय स्तरीय खेलों में बॉक्सिंग में ही कांस्य पदक प्राप्त किया।
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