Spine Problem Care TIPS: उठने-बैठने के गलत ढंग के कारण लोगों में बढ़ रही स्पाइन की समस्याएं, यहां जानिए कैसे रखें खुद का ख्याल
Spine Problem Care TIPS डॉ. मनीष वैश्य ने बताया कि शारीरिक सक्रियता की कमी और गलत पोस्चर के कारण स्पाइन कमजोर होने लगती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Spine Problem Care TIPS कोविड-19 ने हमारे जीने का अंदाज बदल दिया है। अधिकतर संस्थान बंद हैं, लोग घरों से ही काम कर रहे हैं, स्कूल कॉलेज बंद है, बच्चों की पढ़ाई भी ऑनलाइन हो रही है। परिवहन सुविधाएं भी सामान्य रूप से बहाल नहीं हुई हैं। घरों में कैद लोगों के लिए गैजेट्स ही एकमात्र सहारा बनकर उभरे हैं, लेकिन यह जानना जरूरी है कि इनका अत्यधिक इस्तेमाल कैसे आपको स्पाइन से संबंधित समस्याओं का शिकार बना सकता है। जानें क्या कहतें है न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष वैश्य।
कारण : स्पॉन्डिलाइटिस के अनेक कारण होते हैं, लेकिन प्रमुख कारण है अधिक आराम-तलब जिंदगी और जीवन में शारीरिक परिश्रम की कमी। कई बार यह दर्द हड्डियों के कमजोर होने के कारण होता है। साथ ही मधुमेह व गठिया के मरीजों को इसका खतरा अधिक रहता है। रीढ़ की हड्डियों के क्षीण होने की प्रक्रिया भी एक कारण है।
लक्षण :
- इस रोग का दर्द हाथ की उंगलियों से सिर तक हो सकता है
- शरीर के अंगों में झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होना
- कई बार उल्टी आ सकती है। इस रोग में माशपेशियों में अधिक खिंचाव रहने लगता है। इसके लिए दवा के साथ-साथ हीट ट्रीटमेंट और कई बार सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। ट्रैक्शन व कॉलर सपोर्ट आदि द्वारा भी आराम मिलता है। लेकिन ये लक्षण अधिक आयु वाले व्यक्तियों में अधिक पाए जाते हैं। जो लोग मदिरापान व धूम्रपान अधिक मात्रा में करते हैं, उनमें सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस होने का खतरा अधिक होता है
स्पाइन की प्रमुख समस्याएं: शारीरिक सक्रियता की कमी और गलत पोस्चर के कारण स्पाइन कमजोर होने लगती है। इसमें विकृतियां आ जाती हैं, क्योंकि स्पाइन ही शरीर के ऊपरी भाग का पूरा भार सहती है और स्पाइनल कार्ड की सुरक्षा करती है। इस डिस्क की विकृति को स्पांडिलाइटिस कहते हैं। गर्दन में दर्द होने को चिकित्सीय भाषा में सर्वाइकल पेन कहते हैं। गर्दन से होकर गुजरने वाली सर्वाइकल स्पाइन के जोड़ों व डिस्क में समस्या होने से सर्वाइकल पेन हो जाता है।
यह हड्डियों और कार्टिलेज में टूटफूट होने से होता है। उम्र बढ़ने के अलावा कई और कारण जैसे गर्दन में चोट लग जाना, लिगामेंट्स कड़े हो जाना, शारीरिक सक्रियता की कमी इस समस्या का मूल कारण होता है। स्पाइन कार्ड कंप्रेस्ड होने पर स्पाइनल माइलोमलासिया की समस्या हो जाती है। इसके कारण दर्द, सांस लेने में परेशानी, मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होना, तंत्रिकातंत्र की कार्यप्रणाली गड़बड़ाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बचाव व रोग का उपचार
- व्यायाम इस रोग से बचाव के लिए आवश्यक है
- कंप्यूटर पर अधिक देर तक काम करने वालों को कम्प्यूटर का मॉनीटर सीधा रखना चाहिए
- कुर्सी की बैक पर अपनी पीठ सटा कर रखना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल पर उठते रहना चाहिए। उठते-बैठते समय पैरों के बल उठना चाहिए
- दर्द अधिक होने पर चिकित्सक की सलाह से दर्द निवारक दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। फिजियथेरेपी द्वारा गर्दन का ट्रैक्शन व गर्दन के व्यायाम से आराम मिल सकता है
सर्जिकल उपचार
इस रोग मे सर्जरी की बहुत कम आवश्यकता पड़ती है और इसका सहारा तभी लिया जाता है, जब रोगी की स्थिति गभीर हो और तत्रिका तत्र को नुकसान पहुंच चुका हो। असाध्य दर्द हो और सभी गैरऑपरेशन विकल्प विफल हो चुके हों। इस रोग की सर्जिकल प्रक्रिया डिससेक्टॅमी या लैमिनेक्टॅमी है।
बच्चों का रखें खास ख्याल: कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण पिछले कई महीनों से स्कूल भी बंद हैं। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। यही नहीं माता-पिता बच्चों को घर से बाहर जाकर दूसरे बच्चों के साथ खेलने भी नहीं दे रहे हैं। बच्चों का जीवन तो जैसे घर की चारदीवारी में कैद हो गया है। ऐसे में वे मोबाइल, टीवी, कंप्यूटर पर अधिक समय बिता रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान बच्चों में गैजेट्स के बढ़ते चलन ने उन्हें कईं बीमारियों का शिकार बनाकर उनके जीवन के लिए खतरा बढ़ा दिया है।
डॉक्टर से संपर्क करें: स्पाइन से संबंधित सामान्य समस्याएं एक्सरसाइज करने और अपना पोस्चर सही रखने से ठीक हो जाती हैं। दर्द काफी बढ़ जाए तो चिकित्सक से परामर्श लेने में देरी न करें।