नवरात्र कल से, यहां कीजिए स्फटिक से बनी माता की मूर्ति के दर्शन
रायपुर का यह मंदिर खास है, क्योंकि यहां पूरी मूर्ति स्फटिक पत्थर से बनी है और इस पत्थर से मूर्ति बनाने का काम बहुत कठिन होता है। इसकी मान्यता भी खूब है।
रायपुर, [श्रवण शर्मा]। रविवार 18 मार्च से चैत्र नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इस नवरात्र स्फटिक से बनी माता की मूर्ति के दर्शन करने हों तो पहुंच जाएं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर। यहां बोरियाकला इलाके में शंकराचार्य आश्रम में राज राजेश्वरी मां प्रेमाम्बा त्रिपुर सुंदरी की आकर्षक प्रतिमा स्थापित है। खास बात यह है कि पूरी मूर्ति स्फटिक पत्थर से बनी है और इस पत्थर से मूर्ति बनाने का काम बहुत कठिन होता है। छत्तीसगढ़ की एकमात्र स्फटिक मूर्ति है और इसके दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। रायपुर में कुछ ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों में स्थापित मूर्तियों की भी अलग ही विशेषता है।
वैसे तो नवरात्रि पर सभी देवी मंदिरों में दर्शन करने के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां प्रतिष्ठापित प्रतिमाएं कुछ खास विशेषता रखती हैं। राजधानी की हर दिशा में स्थित मंदिरों में प्रतिष्ठापित प्रतिमाओं की बनावट ही कुछ ऐसी है कि श्रद्धालु एकटक प्रतिमाओं को देखते ही रह जाते हैं। कुछ प्रतिमाओं के बारे में तो पता ही नहीं कि वे सैकड़ों साल पुरानी हैं अथवा हजारों साल पुरानी।
स्फटिक से निर्मित मां प्रेमाम्बा त्रिपुर सुंदरी
धमतरी रोड बोरियाकला स्थित शंकराचार्य आश्रम में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा प्रतिष्ठापित राज राजेश्वरी मां प्रेमाम्बा त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा पूरे भारत की एकमात्र देवी प्रतिमा है जो स्फटिक पत्थर को तराशकर बनाई गई है। आश्रम प्रमुख डॉ. इंदुभवानंद ने बताया कि पौने चार फीट ऊंची स्फटिक प्रतिमा के दर्शन करने से विग्रह दोषों का निवारण होने की मान्यता है। कहा जाता है कि भक्त देवी के जिस रूप की कल्पना करते हैं वैसा ही रूप व देवी के गुण उस प्रतिमा में विद्यमान होते हैं। दक्षिण भारतीय शैली में मंदिर का गुंबद बनाया गया है। सभी नौ ग्रहों का विग्रह गुंबद में है, मंदिर में पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं। मंदिर में शिल्पकला देखते ही बनती है और श्रद्धालु सुंदर बनावट को देखकर आकर्षित होते हैं।
महामाया देवी: गर्भगृह में दिखती है तिरछी
पुरानी बस्ती स्थित महामाया देवी मंदिर की प्रतिमा काले रंग के शिलाखंड से निर्मित है। यह प्रतिमा गर्भगृह के भीतर हल्की सी तिरछी अवस्था में है। मुख्य द्वार के बाहर से देखने पर प्रतिमा तिरछी नहीं दिखाई देती लेकिन जैसे-जैसे गर्भगृह के समीप जाकर दर्शन करो तब अहसास होता है कि प्रतिमा तिरछी है। यहां एक समान दो खिड़कियां हैं, जिसमें से बांयी ओर से प्रतिमा नहीं दिखती मगर दांयी ओर से दिखाई देती है। कहा जाता है कि प्रतिमा में अर्ध्यनारीश्वर का रूप दिखाई देता है। किवंदती है कि राजा मोरध्वज खारुन नदी में प्राप्त हुई प्रतिमा को कंधे पर लेकर चले और पुरानी बस्ती पहुंचकर जब थक गए तो प्रतिमा को नीचे रख दिया। प्रतिमा वैसे ही प्रतिष्ठापित हो गई। यही वजह है कि कालांतर में मंदिर बनने पर भी प्रतिमा वैसी ही तिरछी दिखाई दे रही है। पूर्व-पश्चिम मंदिर वास्तु कला से परिपूर्ण है। मुख्य द्वार के ऊपर देवी दुर्गा, मां काली व मां सरस्वती की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित हैं और द्वार के अगल-बगल में गोरा व काला भैरव प्रतिष्ठापित हैं।
बंजारी मंदिर में अखंड जवान जोत
बिलासपुर रोड स्थित बंजारी मंदिर को बंजारों की कुल देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है। मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है, लेकिन प्रतिमा का मुख उत्तर दिशा में परिलक्षित होता है। देशभर में घूमने वाले बंजारों के पूर्वजों ने स्वयंभू जमीन से निकली प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया था। मंदिर का परिसर भव्य है लेकिन लाल सिंदूर से लेपित प्रतिमा एक छोटे से द्वार के भीतर प्रतिष्ठापित है। मंदिर की एक खासियत यह है कि दिल्ली के इंडिया गेट की तरह शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप यहां अखंड जवान जोत प्रज्ज्वलित है।
पिंड रूप में मां शीतला मंदिर
पुरानी बस्ती में मां शीतला मंदिर पत्थर के पिंड के रूप में प्रतिष्ठापित है। प्रतिमा का कोई आकार नहीं है। अपने आप जमीन से निकली प्रतिमा का कुछ ही हिस्सा ऊपर दिखाई देता है। प्रतिमा पर अर्पित किया जाने वाला जल थोड़ा सा ही ऊपर रहता है, शेष जमीन के भीतर चला जाता है। माता को ठंडा भोग ही अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि माता को अर्पित किया जल शरीर पर छिड़कने से चेचक, माता जैसी बीमारियां ठीक होती हैं।
ऐसे ही अनेक प्रतिष्ठित देवी मंदिर और भी हैं जहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। इनमें पूर्वाभिमुख कंकाली तालाब का प्रसिद्ध कंकाली मंदिर, पश्चिमाभिुमुख आकाशवाणी चौक स्थित काली मंदिर, सत्ती बाजार स्थित पश्चिमाभिमुख काली मंदिर और कुशालपुर स्थित पूर्वाभिमुख दंतेश्वरी मां का मंदिर प्रसिद्ध है।