आइवीएफ लैब से स्पर्म व उपकरण चोरी
मूलचंद अस्पताल के आइवीएफ लैब से स्पर्म व अन्य उपकरण के चोरी का पहला और अनोखा मामला सामने आया है। आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) लैब से स्पर्म (शुक्राणु) की आठ बोतलें व कृत्रिम गर्भधारण में काम आने वाले उपकरण भी चोरी हो गए हैं। लाजपत नगर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी ह
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। मूलचंद अस्पताल के आइवीएफ लैब से स्पर्म व अन्य उपकरण के चोरी का पहला और अनोखा मामला सामने आया है। आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) लैब से स्पर्म (शुक्राणु) की आठ बोतलें व कृत्रिम गर्भधारण में काम आने वाले उपकरण भी चोरी हो गए हैं। लाजपत नगर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
वारदात गत शनिवार सुबह नौ बजे उस वक्त सामने आई, जब लाजपत नगर-3 स्थित मूलचंद अस्पताल के आइवीएफ लैब इंचार्ज व टेक्नीशियन पारितोश कुमार सरकार ने लैब खोला। उन्होंने देखा कि लैब से स्पर्म व कुछ उपकरण गायब हैं। उन्होंने अस्पताल की एचआर मैनेजर सुरोश्री बनर्जी को बताया। इसके बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई। आइवीएफ लैब सुबह नौ बजे खुलती है और शाम पांच बजे बंद कर दी जाती है।
इस घटना से अस्पताल प्रशासन व पुलिस हैरान हैं। पुलिस के अनुसार, चोरी में अस्पताल के किसी कर्मचारी की मिलीभगत हो सकती है, क्योंकि अस्पताल के सभी प्रवेश व निकास द्वार पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। पुलिस अस्पताल कर्मियों से पूछताछ कर रही है। साथ ही, अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकार्डिग से भी मामले की पड़ताल कर रही है।
यह चीजें चोरी हुई:
1. स्पर्म हैंडलिंग सोल्यूशन-आठ बोतल
2. जी-1वी 5 क्वीवेज- एक बोतल
3. जी-2वी 5 प्लस ब्लास्टोकिस्ट- 1 बोतल
4. ओवी ऑयल (कल्चर ऑयल)- एक बोतल
5. जी-आइवीएफ प्लस (फर्टिलाइजेशन)- एक बोतल
6. जी-एमओपीएस प्लस (फ्लशिंग)- एक बोतल
7. स्ट्राइपर टिप्स 135 यूएम- 5
8. स्ट्राइपर टिप्स 175 यूएम-5
9. स्ट्राइपर टिप्स 275 यूएम-5
10. आइसीएसआइ इंजेक्शन- 20
11. वर्टिफिकेशन सीआरवाइओ लीफ-1
12. वर्टिफिकेशन वार्मिग मीडिया- एक बोतल
13. वर्टिफिकेशन फ्रीज- एक बोतल
14. स्पर्म फ्रीजिंग मीडिया मेडिकल्ट- दो बोतल
क्या होता है आइवीएफ:
इन व्रिटो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) एक तकनीक है। जिससे उन महिलाओं में गर्भाधान कराया जाता है, जो प्राकृतिक ढंग से गर्भवती नहीं हो पातीं। यह बांझपन दूर करने की कारगर तकनीक मानी जाती है। इस प्रक्रिया में किसी महिला के अंडाशय से अंडे को अलग कर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है। इसके बाद निषेचित अंडे को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है। विश्व में पहली बार इस प्रक्रिया का प्रयोग मैनचेस्टर (इंग्लैंड) के पैट्रिक स्टेपो और रॉबर्ट एडवर्डस ने किया था। उनके इस प्रक्रिया से जन्मे बच्चे का नाम लुईस ब्राउन था। जिसका जन्म 25 जुलाई, 1978 को मैनचेस्टर में हुआ था।
भारत में आज ये तकनीक नि:संतान दंपत्तियों के लिए एक नई आशा की किरण है। इस तकनीक द्वारा मनचाहे गुणों वाली संतान और बहुत से रोगों से जीवन पर्यत सुरक्षित संतान उत्पन्न करने के प्रयास भी जारी हैं। बहुत से प्रयास सफल भी हो चुके हैं।
कैसे होता है?:
आइवीएफ में कई तकनीक प्रचलन में है। इसमें आइसीएसआइ, जेडआइएफटी, जीआइएफटी और पीजीडी शामिल है। आइसीएसइ का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब अंडों की संख्या कम होती है या फिर शुक्राणु, अंडाणु से क्रिया करने लायक बेहतर अवस्था में नहीं होते। इसमें माइक्रोमेनीपुलेशन तकनीक द्वारा शुक्राणुओं को सीधे अंडाणुओं में इंजेक्ट कराया जाता है।
जेडआइएफटी में महिला के अंडाणुओं को निकाल कर उन्हें निषेचित कर महिला के गर्भाशय में स्थापित करने के बजाए उसके फैलोपियन ट्यूब में स्थापित किया जाता है। आइवीएफ की प्रक्रिया सुपरओव्यूलेशन, अंडे की पुन:प्राप्ति, निषेचन, और भ्रूण स्थानांतरण के रूप में पूर्ण होती है। इसका प्रयोग वे महिलाएं भी कर सकती हैं जिनमें रजोनिवृत्ति हो चुकी है, और फैलोपियन ट्यूब बंद हो चुका है। इस प्रकार ये सुविधा एक वरदान सिद्ध होती है।
स्पर्म के एक सैंपल के मिलते हैं 500 रुपये:
फिल्म विक्की डोनर में अभिनेता जॉन अब्राहम को भले ही स्पर्म डोनेशन के लिए अच्छी खासी रकम मिलते हुए दिखाया गया, मगर वास्तव में स्पर्म के एक सैंपल के महज 500 रुपये मिलते हैं। बावजूद इसके, स्पर्म चोरी की घटना से आइवीएफ विशेषज्ञ हैरान हैं। उन्हें यकीन है कि चोरी में इस पेशे से जुड़े लोग ही शामिल होंगे। अगर किसी टेक्नीशियन ने इसे चुराया है तो वह इसका इस्तेमाल भी कर सकता है, क्योंकि स्पर्म को कैसे प्रिजर्व रखा जाता है और इसे किस लेवल पर कितने तापमान की जरूरत होती है, एक आम आदमी को इस बारे में पता नहीं होता है।
आइवीएफ एक्सपर्ट डॉक्टर अर्चना धवन बजाज कहती हैं कि स्पर्म को फ्रीज करने का एक अलग तरीका होता है, इसे लिक्विड नाइट्रोजन की मदद से फ्रीज किया जाता है। ऐसी स्थिति में स्पर्म को ट्रांसपोर्ट नहीं किया जा सकता है। अगर किसी ने इस मकसद से स्पर्म की चोरी की है, तो यह बेकार है। ऐसा पहली बार सुना है कि स्पर्म चोरी हो गया है। आइवीएफ विशेषज्ञ अनूप गुप्ता का कहना है कि स्पर्म को सुरक्षित रखने के लिए उसे -186 डिग्री के तापमान में रखना पड़ता है।
इसके लिए जो केमिकल्स आते हैं उसे मीडिया कहते हैं, इसे चार डिग्री तापमान में रखना होता है। इसे केमिकल्स की मदद से वॉश किया जाता है। हालांकि इसकी कीमत ज्यादा नहीं है। लेकिन लैब में चोरी करना या इन सामानों की चोरी कोई जानकार आदमी ही कर सकता है। जहां तक इसके लिए लैब की बात है तो डॉक्टर का कहना है कि ऐसे लैब बनाने के लिए 40 लाख से एक करोड़ रुपये का खर्च होता है।