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भूमि अधिग्रहण कानून के फैसले में कुछ सवाल अनुत्तरित : सुप्रीम कोर्ट

भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजे पर शीर्ष अदालत की विभिन्न पीठ द्वारा दो विपरीत फैसले देने पर संविधान पीठ ने भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार पुनर्वास एवं पुर्नस्‍थापना अधिनियम 2013 की धारा 24 की व्याख्या की थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 11:39 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 11:39 PM (IST)
भूमि अधिग्रहण कानून के फैसले में कुछ सवाल अनुत्तरित : सुप्रीम कोर्ट
सीजेआइ ने कहा, फैसले को लेकर कुछ प्रश्नों को स्पष्ट करना आवश्यक

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि भूमि अधिग्रहण और उचित मुआवजे का भुगतान के मुद्दे पर पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले पर कुछ स्पष्टता की जरूरत है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने माना कि फैसले में 'कुछ सवाल' रह गए थे, जिस पर चर्चा की आवश्यकता थी। सीजेआइ ने कहा, 'मेरे दिमाग में कुछ सवाल हैं। मैं इस पर पीठ के साथी जजों से चर्चा करना चाहता हूं।'

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पीठ ने कहा, 'मान लीजिए, कोई संपत्ति है, जिस पर सरकार ने कब्जा नहीं किया है और मुआवजा नहीं दिया है, तब उसका अधिग्रहण खत्म हो जाएगा।' पीठ ने आगे कहा, 'यदि सरकार ने संपत्ति पर कब्जा कर लिया है और मुआवजे का भुगतान नहीं किया है, पांच न्यायाधीशों का कहना है कि अधिग्रहण खत्म नहीं होगा।' पीठ ने कहा, 'सवाल है कब तक, अगर सरकार मुआवजे का भुगतान नहीं करती है, तो कब तक अधिग्रहण जारी रहेगा।'

जस्टिस अरुण मिश्र (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने इस साल छह मार्च को सुनाए अपने फैसले में कहा था कि अगर भूमि अधिग्रहण और उसके मालिक को उचित मुआवजे के भुगतान की कानूनी प्रक्रिया एक जनवरी, 2014 से पहले पूरी हो गई है, तो 2013 के कानून के तहत इस मामले में विवाद को दोबारा शुरू नहीं किया जा सकता है। भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजे पर शीर्ष अदालत की विभिन्न पीठ द्वारा दो विपरीत फैसले देने पर संविधान पीठ ने 'भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार, पुनर्वास एवं पुर्नस्‍थापना अधिनियम, 2013' की धारा 24 की व्याख्या की थी। धारा 24 उन परिस्थितियों से संबंधित है, जिनके तहत किसी जमीन के अधिग्रहण की कार्यवाही को खत्म माना जाता है।

प्रावधान में कहा गया है कि यदि एक जनवरी, 2014 तक भूमि अधिग्रहण मामले में मुआवजा नहीं दिया गया है, तब भूमि अधिग्रहण के मुआवजे का निर्धारण करने में 2013 के कानून के प्रावधान लागू होंगे। पीठ ने कहा, 'हम इस पर चर्चा करेंगे और मामले को उठाएंगे। हमारे पास कुछ प्रश्न हैं। कुछ ऐसा है, जिसके बारे में हम स्पष्ट होना चाहते हैं।' पीठ ने कहा कि वह इस मामले में दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी। संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि कानून की धारा 24 (1)(अ) के प्रावधानों के तहत, अगर एक जनवरी, 2014 तक मुआवजा नहीं दिया गया है, तो कार्यवाही खत्म नहीं होती है और मुआवजे का निर्धारण 2013 के कानून के मुताबिक किया जाएगा।

संविधान पीठ ने आगे कहा था इसी कानून की धारा 24 (2) के तहत भूमि अधिग्रहण कार्यवाही को तब रद माना जाएगा, जब इस कानून के लागू होने के पांच साल या उससे अधिक समय से प्राधिकरणों की निष्कि्रयता के चलते जमीन पर न तो कब्जा किया जाता है और न ही मुआवजे का भुगतान ही किया जाता है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून की धारा 24 से संबंधित मामलों को लंबित रखा जाएगा, क्योंकि यह मुद्दा संविधान पीठ के पास है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कई मामले शीर्ष अदालत के साथ ही विभिन्न हाई कोर्ट के सामने लंबित हैं।


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