हिंदी दिवस: विश्व हिंदी सम्मेलन की कुछ घोषणाएं दो साल बाद भी अधूरी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मेलन में कहा था कि राजभाषा विभाग को पुनर्जीवित किया जाएगा, पर ये काम अभी तक नहीं हुआ है।
भोपाल, नईदुनिया। दो साल पहले प्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन की कुछ घोषणाएं आधी अधूरी स्थिति में है। केंद्र ने तो अपनी वेबसाइट से सम्मेलन की घोषणाओं को ही हटा दिया। इसमें अब सिर्फ पारित प्रस्ताव का उल्लेख रह गया है, जबकि कुछ समय पहले तक पूरी दो सौ घोषणाएं दिखाई देती थीं।
वहीं, प्रदेश में मुख्यमंत्री की घोषणाओं के साथ सभी विभाग आदेश, निर्देश और अधिसूचनाएं हिंदी में निकाल रहे हैं। इतना ही नहीं केंद्र से होने वाला पत्राचार भी हिंदी में ही किया जा रहा है। जरूरत के हिसाब से इसके साथ अंग्रेजी का पत्र भी नत्थी कर दिया जाता है। सामान्य प्रशासन विभाग ने 21 जनवरी 2016 को सभी कलेक्टर सहित विभाग प्रमुखों को आदेश दिया था कि हिंदी में काम करने वाले कर्मचारी-अधिकारी को प्रताडि़त या हत्तोसाहित न किया जाए। अंग्रेजी में कोई कार्यवाही नहीं होगी। आदेश को नजरअंदाज करना कदाचरण की श्रेणी में माना जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
इसका असर ये हुआ कि सभी विभाग अब पत्राचार से लेकर आदेश, निर्देश और अधिसूचनाएं हिंदी में निकालने लगे हैं। इसके बावजूद हिंदी सम्मेलन से जुड़ी कुछ घोषणाएं आज तक पूरी नहीं हो पाई हैं। कहीं कार्रवाई हुई तो कुछ प्रक्रिया में संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में करीब दो सौ घोषणाएं हुई थीं। राज्य से संबंधित करीब 29 घोषणाएं थीं। इन सभी पर किसी न किसी स्तर पर कार्रवाई या तो कर दी गई है या फिर ये प्रक्रिया में हैं। व्यापारियों के संस्थानों के बोर्ड हिंदी या देवनागिरी लिपि में लगाने के लिए कहा गया था। राजधानी के न्यू मार्केट सहित कई बाजारों में इसका पालन नगर निगम ने करवाया। कई पार्षद अपनी निधि से एक जैसे बोर्ड लगवाकर इस काम को अंजाम भी दे रहे हैं।
इन पर नहीं हुआ अमल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मेलन में कहा था कि राजभाषा विभाग को पुनर्जीवित किया जाएगा, पर ये काम अभी तक नहीं हुआ है। अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हिंदी में अच्छा काम करने वालों को पुरस्कार देने की घोषणा भी कागजों में सिमटकर रह गई है।
राज्य ने खर्च किए थे 10 करोड़ रुपये
सूत्रों का कहना है कि विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन मूलत: विदेश मंत्रालय का था, लेकिन मध्य प्रदेश में होने की वजह से यहां की सरकार ने भी करीब 10 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसके लिए शहर के बीचों-बीच लालपरेड मैदान पर वातानुकूलित विशाल पंडाल बनाए गए थे।
गौरतलब है कि 14 सितंबर 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। लेकिन पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिलने का दिन बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाना चाहिए।
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