चीन के साथ सैन्य हॉटलाइन पर जोर
सीमा मामले पर चीन की ओर से आए रक्षा सहयोग समझौते के प्रस्ताव के साथ ही भारत ने सैन्य हॉटलाइन की पुरानी पेशकश भी आगे बढ़ाई है। चीन दौरे पर गए विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद सीमा मामलों पर बातचीत के दौरान इस संबंध में फैसले का आग्रह करेंगे। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिि
नई दिल्ली। सीमा मामले पर चीन की ओर से आए रक्षा सहयोग समझौते के प्रस्ताव के साथ ही भारत ने सैन्य हॉटलाइन की पुरानी पेशकश भी आगे बढ़ाई है। चीन दौरे पर गए विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद सीमा मामलों पर बातचीत के दौरान इस संबंध में फैसले का आग्रह करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी समिति की बैठक में हॉटलाइन स्थापित करने के प्रस्ताव को नए सिरे से आगे बढ़ाने का फैसला हुआ। भारत की ओर से दोनों देशों के बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के स्तर पर सीधे संपर्क की व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है। फिलहाल दोनों देशों के बीच सैन्य संपर्क के लिए फ्लैग मीटिंग की व्यवस्था है। अगर भारत का प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है तो दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच जरूरत पड़ने पर सीधे बातचीत की व्यवस्था बनेगी। वर्तमान में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य अभियान महानिदेशक (डीजीएमओ) स्तर पर वार्ता की व्यवस्था है। इसके तरह सीमा संबंधी किसी भी सैन्य स्थिति को सुलझाने के लिए सैन्य अधिकारी आपस में बात कर लेते हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों लद्दाख के दिपसांग बल्ज क्षेत्र में भारतीय हद में दाखिल हुए चीनी सैनिकों के तंबुओं को हटवाने के लिए भारत को कई बार फ्लैग मीटिंग मांगनी पड़ी थी। साथ ही इसके लिए बीजिंग में अपने राजदूत के जरिए भी खासी कवायद करनी पड़ी।
खुर्शीद के दौरे से मिलेगी सीमा विवाद खत्म करने में मदद
भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के चीन दौरे से हाल के सीमा विवाद को एक राजनीतिक अंत देने में मदद मिलेगी। चीन के एक कट्टरपंथी अखबार ने बृहस्पतिवार को यह बात कही है। ग्लोबल टाइम्स ने 'फेस ऑफ जस्ट एक स्मॉल थॉर्न इन साइनो-इंडियन रिलेशन' शीर्षक से प्रकाशित लेख में हाल के भारत-चीन सीमा पर तनाव के बारे में कहा है कि उसका समाधान बिना किसी समस्या के हो गया, वह भी खुर्शीद के 9-10 मई का दौरा शुरू होने के पहले। ऐसा लगा कि सीमा के मुद्दे पर पहले टकरा चुके एशिया के दोनों बड़े देशों की जनता के बीच एक दूसरे के खिलाफ 'जैसे को तैसा' वाला रुख है। यह भी कहा गया है कि द्विपक्षीय संबंध पश्चिम के उकसावे का विषय भी है लेकिन ऐसा तनाव कभी नहीं बढ़ा जो चीन और भारत के रिश्ते को खतरे में डाल दे। जब समाधान की बात आती है तो संयम और कूटनीति सफल हो सकते हैं। चीन के सैनिकों ने 15 अप्रैल को लद्दाख के देपसांग इलाके में घुसकर तंबू गाड़ दिए थे।
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