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घर-घर सोलर ऊर्जा उत्पादन में भारत का खर्च सबसे कम

भारत में प्रति वर्ष 1.7 पेटावाट (17 लाख गीगावाट) प्रति घंटे रूफटाप सौर उत्पादन क्षमता है जबकि देश की मौजूदा बिजली की मांग 1.3 पेटावाट प्रति घंटे प्रति वर्ष ही है। पिछले एक दशक के दौरान विभिन्न देशों के प्रयासों के चलते आरटीएसपीवी की लागत में काफी कमी आई है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 06:16 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 06:16 AM (IST)
घर-घर सोलर ऊर्जा उत्पादन में भारत का खर्च सबसे कम
भारत में सबसे कम लागत में रूफटाप सौर ऊर्जा का उत्पादन

मुंबई, प्रेट्र।  भारत (India) में सबसे कम लागत में रूफटाप सौर ऊर्जा (Roof Top Solar Energy ) का उत्पादन किया जाता है। इसकी लागत 66 डालर (करीब 4,950 रुपये) प्रति मेगावाट प्रति घंटे है। जबकि चीन में यह लागत 68 डालर (करीब 5,110 रुपये) प्रति मेगावाट प्रति घंटे है। वहीं अमेरिका में इसकी लागत 238 डालर (करीब 17,850 रुपये) प्रति मेगावाट प्रति घंटे वहीं इंग्लैंड में 251 डालर (करीब 18,825 रुपये) प्रति मेगावाट प्रति घंटे है। एक वैश्विक अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है।

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2050 तक डिमांड का 49 प्रतिशत सौर ऊर्जा से होगा पूरा

रूफटाप सोलर फोटोवोल्टिक (आरटीएसपीवी) तकनीक की लागत कम होने के चलते घरों और औद्योगिक भवनों के ऊपर लगने वाले सोलर पैनल में इसका प्रयोग बहुत तेजी से किया जा रहा है। बिजली उत्पादन में सौर ऊर्जा का हिस्सा तेजी से बढ़ रहा है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2050 तक वैश्विक बिजली की मांग का 49 प्रतिशत सौर ऊर्जा से पूरा होगा।

देश में मौजूदा बिजली की मांग

पिछले एक दशक के दौरान विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा किए गए प्रयासों के चलते आरटीएसपीवी की लागत में काफी कमी आई है। वर्ष 2006 में आरटीएसपीवी के माध्यम से 2.5 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जाता था जो वर्ष 2018 में यह बढ़कर 218 गीगावाट हो गया। अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष 1.7 पेटावाट (17 लाख गीगावाट) प्रति घंटे रूफटाप सौर उत्पादन क्षमता है, जबकि देश की मौजूदा बिजली की मांग 1.3 पेटावाट प्रति घंटे प्रति वर्ष ही है।

गुजरात और राजस्थान में लागत सबसे कम

गुजरात और राजस्थान में रूफटाप सौर ऊर्जा की लागत सबसे कम है। वैश्विक स्तर पर आरटीएसपीवी की बिजली उत्पादन क्षमता और उसमें खर्च होने वाली लागत को समझने के लिए मशीन लर्निग का उपयोग करके 1.30 करोड़ वर्ग किमी की मैपिंग और दो लाख वर्ग किमी रूफटाप क्षेत्र की पहचान की गई।


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