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सामाजिक कार्यकर्ता को महंगी पड़ी झूठी गवाही

बेटी से दुष्कर्म के आरोप में पिछले दो साल से जेल में बंद एक पिता और उसके बेटे को ठाणे की कल्याण सत्र अदालत ने बरी कर दिया है। अदालत ने इस मामले में झूठी गवाही देने व किशोरी को उसके ही पिता और भाई के खिलाफ उकसाने के लिए

By Sachin kEdited By: Published: Thu, 19 Feb 2015 02:03 AM (IST)Updated: Thu, 19 Feb 2015 02:07 AM (IST)

सौरभ वकतानिया (मिड-डे), मुंबई। बेटी से दुष्कर्म के आरोप में पिछले दो साल से जेल में बंद एक पिता और उसके बेटे को ठाणे की कल्याण सत्र अदालत ने बरी कर दिया है। अदालत ने इस मामले में झूठी गवाही देने व किशोरी को उसके ही पिता और भाई के खिलाफ उकसाने के लिए पुलिस को एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है।

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महिला कार्यकर्ता विद्या सत्यवान दुधवाडकर पर 14 साल की एक किशोरी को उसके ही पिता और भाई को दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाने का आरोप है। कोर्ट के फैसले के बाद किशोरी के पिता और भाई लगभग दो साल बाद जेल से रिहा हुए। डोंबीवली पुलिस का कहना है कि दिसंबर, 2012 में किशोरी ने पिता और भाई से कुछ पैसे मांगे थे, लेकिन उन्होंने उसे पैसे नहीं दिए। इससे नाराज होकर वह घर से बाहर निकल गई और सड़क पर जाकर रोने लगी। तभी विद्या ने किशोरी को देखा और उसे भाई व पिता के खिलाफ पुलिस में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराने का सुझाव दिया।

उसने किशोरी को समझाया कि अगर वह केस दर्ज कराती है तो उसे हर महीने अच्छा मुआवजा मिलेगा। इसके बाद किशोरी ने महिला के बहकावे में आकर अपने पिता और भाई के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। आनन-फानन में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन, मेडिकल जांच के अलावा किशोरी और दोनों आरोपियों के कपड़ों की जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई।
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