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जहां शहीद हुए थे पिता, छह साल की बेटी ने वहीं फहराया तिरंगा

कमांडेंट प्रमोद कुमार पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के ही दिन नौहट्टा में दो विदेशी आतंकियों को मार गिराते हुए शहीद हो गए थे।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 16 Aug 2017 09:20 AM (IST)Updated: Wed, 16 Aug 2017 06:41 PM (IST)
जहां शहीद हुए थे पिता, छह साल की बेटी ने वहीं फहराया तिरंगा
जहां शहीद हुए थे पिता, छह साल की बेटी ने वहीं फहराया तिरंगा

श्रीनगर [नवीन नवाज]  अंकल, मेरे पापा हीरो थे। मैं भी हीरो बनूंगी अपने पापा की तरह। मम्मी कहती हैं कि मुझे पापा की तरह बहादुर बनना है। मैं भी पापा की तरह वर्दी पहनकर कंट्री के एनिमी से लड़ूंगी। सीआरपीएफ के शहीद कमांडेंट प्रमोद कुमार की छह साल की बेटी अरन्ना ने राष्ट्रध्वज फहराने और सलामी देने के बाद ये बातें कहीं।

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कमांडेंट प्रमोद कुमार पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के ही दिन नौहट्टा में दो विदेशी आतंकियों को मार गिराते हुए शहीद हो गए थे। यह महज संयोग ही था कि शहीद होने से चंद घंटे पहले कमांडेट प्रमोद ने यहीं कर्णनगर में 49 बटालियन हेडक्वार्टर में सुबह सवा आठ बजे के करीब राष्ट्र ध्वज फहराते हुए परेड की सलामी ली थी। परेड के दौरान ही जब उन्हें पता चला कि नौहट्टा में आतंकी हमला हुआ, वह तुरंत मौके पर पहुंच गए। शहीद के सहयोगी राजेश यादव ने अरन्ना की तरफ देखते हुए कहा कि इस लड़की में मुझे इसके पिता की परछाई नजर आती है। अरन्ना अपनी मां नेहा के साथ मंगलवार को यहां कर्णनगर स्थित अपने पिता की बटालियन में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने आई थी।

नेहा ने कहा कि मेरे लिए इससे ज्यादा गर्व की क्या बात होगी कि एक दिन पहले ही मेरे पति को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया है। मैं पहली बार यहां आई हूं। पति की शहादत के बाद जामताड़ा (झारखंड) में अपने माता-पिता के साथ रह रही नेहा ने कहा कि मैं चाहती थी कि मेरी बेटी उस जगह को देखे जहां उसके पिता शहीद हुए। वह खुद यहां आकर उन लोगों से बात करे जिन्होंने उसके पिता की बहादुरी को देखा है।

मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है। मेरी बेटी ने खुद महसूस किया है कि उसके पिता सचमुच में हीरो थे, उसने खुद यहां आने के बाद कहा कि मां तुम सही कहती हो। नेहा ने कहा कि जिस तरह मेरे पति ने शहीद होने से पहले अपने जवानों में मिठाई बांटी थी, मैने और मेरी बेटी ने भी ठीक उसी जगह तिरंगा लहराया है और मिठाई बांटी है। अरन्ना ने कहा कि पापा नहीं हैं, इससे तकलीफ होती है। मैं जब भी दुखी होती हूं, मुझे जब उनकी याद आती है तो मैं उनके कमरे में चली जाती हूं। उनकी पिक्चर और यूनीफॉर्म देखती हूं। मैं भी पापा की तरह ही सीआरपीएफ की अफसर बनूंगी। अरन्ना जामताड़ा के एक स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ती है।

क्या हुआ था 15 अगस्त, 2016 को

15 अगस्त, 2016 को कर्णनगर स्थित सीआरपीएफ की 49वीं वाहिनी के कमांडेंट प्रमोद कुमार ने सुबह साढ़े आठ बजे तिरंगा फहराया। उन्होंने जवानों को संबोधित करते हुए कहा था कि देश को आजाद हुए बेशक 70 साल हो चुके हैं, लेकिन सुरक्षाबलों की जिम्मेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। समारोह अभी पूरी तरह समाप्त भी नहीं हुआ था कि बटालियन के नियंत्रण कक्ष में रेडियो सेट पर संदेश आ गया कि नौहट्टा में जामिया मस्जिद के पास आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड से हमला किया है। प्रमोद उसी समय अपने एक विशेष दस्ते के साथ नौहट्टा पहुंचे। उन्होंने आतंकियों की पोजीशन का अंदाजा लगाते हुए मोर्चा संभाल लिया और कुछ ही देर में दो आतंकी मारे गए। लेकनि इस दौरान प्रमोद को सिर में गोली लग गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

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