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डीडीए आवास योजना 2014: छह हजार लोगों ने लौटाए फ्लैट

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की आवास योजना 2014 को एक बड़ा झटका लगा है। योजना के 25040 सफल आवेदकों में से 6000 आवेदकों ने डीडीए के फ्लैट वापस कर दिए हैं। फ्लैट वापस करने वालों ने कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। मगर डीडीए द्वारा इस बारे में जुटाई गई

By anand rajEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2015 08:25 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2015 08:57 AM (IST)

नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की आवास योजना 2014 को एक बड़ा झटका लगा है। योजना के 25040 सफल आवेदकों में से 6000 आवेदकों ने डीडीए के फ्लैट वापस कर दिए हैं। फ्लैट वापस करने वालों ने कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है। मगर डीडीए द्वारा इस बारे में जुटाई गई जानकारी में पता चला है कि फ्लैटों का आकार छोटा होना तथा फ्लैट वाले इलाकों का अभी तक विकसित न होना इसका मुख्य कारण है।

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डीडीए उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार का कहना है कि वह खुद हैरान हैं कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने फ्लैट वापस किए हैं। उन्होंने कहा कि कम सुरक्षा राशि होने के कारण बहुत से लोगों ने फ्लैट के लिए आवेदन किया था मगर अधिकतर मामलों में छोटे होने के कारण आवेदकों को फ्लैट पसंद नहीं आए। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए डीडीए की आने वाली नई योजना में 50 फीसद एलआइजी फ्लैट शामिल किए जाएंगे।

गत सितंबर में लांच की गई थी योजना

आपको बता दें कि आवास की भारी कमी झेल रहे दिल्लीवासियों के लिए डीडीए ने गत 1 सितंबर को आवास योजना 2014 को जमीन पर उतारा था। योजना के तहत 25040 फ्लैट निर्धारित किए गए थे। इन फ्लैटों के लिए 10 लाख 8 हजार 975 लोगों ने आवेदन किया था। 25 नवंबर, 2014 को योजना का ड्रा निकाला गया था। जिन 25040 लोगों का ड्रा में नाम आया था उसमें से अभी तक 6 हजार लोग फ्लैट वापस कर चुके हैं और यह क्रम जारी है। पिछले 15 दिन में ही 3 सौ लोगों ने फ्लैट वापस किए हैं। यह संख्या वेटिंग के 1256 फ्लैटों को क्लीयर करने के बाद की है। वेटिंग के फ्लैट क्लीयर होने के बाद जिन लोगों को फ्लैट मिले थे, उसमें से भी कुछ लोगों ने फ्लैट वापस कर दिए हैं।

बढ़ सकती है संख्या

माना जा रहा है कि फ्लैट वापस करने वालों की संख्या अभी और बढ़ सकती है। वापस किए जाने वाले फ्लैट रोहिणी, सिरसपुर व नरेला में हैं। इसका कारण यह है कि इन इलाकों में जिन जगहों पर फ्लैट बने हैं वह अभी पूर्णरूप से विकसित नहीं हुए हैं। सार्वजनिक परिवहन की भी यहां पहुंचने के लिए बेहतर सुविधा नहीं है। मेट्रो ने यहां के लिए जो रूट प्रस्तावित किया है वह भी इस क्षेत्र को मुख्य दिल्ली से सीधे तौर पर नहीं जोड़ता है। दूसरा पहलू यह है कि इस बार फाइनेंसर और प्रापर्टी डीलर इस योजना में आने की हिम्मत कम ही जुटा पाए। इसका कारण यह है कि डीडीए ने सभी सफल आवेदकों के दस्तावेजों के साथ-साथ उनकी बायोमीटिक जांच करानी शुरू की है। डीडीए की शर्त यह है कि इन फ्लैटों को पांच साल तक नहीं बेचा जा सकता है। वहीं रोहिणी में अभी काफी फ्लैट निर्माणाधीन हैं। अभी तक यह पहली योजना है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में फ्लैट वापस किए गए हैं।


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