आयकर रिफंड की प्रक्रिया को और आसान बनाने की तैयारी
आयकर रिफंड के मामले में सरकार आयकरदाताओं की सहूलियतें बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में सीधे बैंक खाते में भेजे जाने वाले रिफंड की राशि की अधिकतम सीमा बढ़ाई जा सकती है। इससे ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से रिफंड लेने वाले आयकरदाताओं का दायरा बढ़ जाएगा।
नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। आयकर रिफंड के मामले में सरकार आयकरदाताओं की सहूलियतें बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में सीधे बैंक खाते में भेजे जाने वाले रिफंड की राशि की अधिकतम सीमा बढ़ाई जा सकती है। इससे ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से रिफंड लेने वाले आयकरदाताओं का दायरा बढ़ जाएगा।
अभी बैंक खाते में आने वाले रिफंड की अधिकतम सीमा 50 हजार रुपये है। इससे अधिक रिफंड होने पर आयकर विभाग चेक से रिफंड की राशि देता है, जिसे स्पीड पोस्ट से भेजा जाता है। अक्सर रिफंड की यह राशि आयकरदाता तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है। लिहाजा, वित्त मंत्रालय ने सीधे बैंक खाते में भेजे जाने वाले रिफंड की राशि की अधिकतम सीमा बढ़ाने का फैसला किया है।
वैसे, यह सीमा कितनी होगी इस पर अभी आयकर विभाग और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच विचार विमर्श की प्रक्रिया जारी है। वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि इस साल सितंबर तक रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाने का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत कई अन्य सुविधाएं भी शुरू की जा रही हैं। मसलन इस बार आयकर रिटर्न के फॉर्म में आधार संख्या का कॉलम भी होगा।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि ऑनलाइन आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले जो लोग आधार संख्या दर्ज करेंगे उन्हें रिटर्न फॉर्म बेंगलुरु स्थित आयकर विभाग के केंद्रीय प्रसंस्करण कार्यालय भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे ऑनलाइन आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों को काफी सहूलियत होगी।
आने वाले एक हफ्ते में आयकर रिटर्न दाखिल करने का काम शुरू हो जाएगा। वित्त मंत्रालय चाहता है कि रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख तक रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाने का काम पूरा कर लिया जाए। यही वजह है कि इसके लिए 30 सितंबर का लक्ष्य रखा गया है क्योंकि इस बार रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त रखी गई है।
गौरतलब है कि इस साल अप्रैल मई के महीने तक 39,000 करोड़ रुपये का रिफंड दिया जा चुका है जो 2014 की इस अवधि के मुकाबले 21 फीसद ज्यादा है। 2015-16 में वित्त मंत्रालय ने 1.45 लाख करोड़ रुपये के रिफंड का अनुमान लगाया है। बीते वित्त वर्ष में 1.12 लाख करोड़ रुपये के रिफंड के दावे आए थे।