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फर्जी भारतीय करेंसी मामले में आइएसआइ के शामिल होने के संकेत, बांग्लादेश में हुई थी 7.35 करोड़ की बरामदगी

एनआइए विदेशी धरती पर जाकर जांच करने के प्राप्त अधिकार के तहत बांग्लादेश की एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य कर रही है। एजेंसी के गुवाहाटी ब्रांच आफिस में तैनात इंस्पेक्टर अर्पण साहा को मामले में जांच अधिकारी नियुक्त कर जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 08:45 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 08:45 PM (IST)
फर्जी भारतीय करेंसी मामले में आइएसआइ के शामिल होने के संकेत, बांग्लादेश में हुई थी 7.35 करोड़ की बरामदगी
एनआइए को मिलकर जांच करने का जिम्मा (सांकेतिक फोटो)

नई दिल्ली, एएनआइ। बांग्लादेशी नागरिक से बरामद 7.35 करोड़ रुपये की फर्जी भारतीय करेंसी के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अब बांग्लादेश की एजेंसियों के साथ मिलकर जांच में जुट गई है। दोनों देशों की एजेंसियां पता लगा रही हैं कि यह जाली करेंसी कहां से छापकर लाई गई। जांच में भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने वाली इस साजिश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के शामिल होने के संकेत मिले हैं। पूर्व में आइएसआइ ऐसी हरकतों में शामिल रही है। लेकिन नोटबंदी के बाद नई करेंसी के प्रचलन में आने के बाद आइएसआइ की हरकतों पर रोक लगी थी। लेकिन ताजा मामला चिंता पैदा करने वाला है।

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एनआइए विदेशी धरती पर जाकर जांच करने के प्राप्त अधिकार के तहत बांग्लादेश की एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य कर रही है। एजेंसी के गुवाहाटी ब्रांच आफिस में तैनात इंस्पेक्टर अर्पण साहा को मामले में जांच अधिकारी नियुक्त कर जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मामले में एनआइए ने 30 दिसंबर को एफआइआर दर्ज की है।

बांग्लादेशी नेटवर्क का ऐसे चला पता

फर्जी भारतीय मुद्रा के लिए बने बांग्लादेशी नेटवर्क का पता तब चला जब बांग्लादेश की पुलिस ने 50 हजार रुपये के नकली भारतीय नोटों के साथ अपने देश के कसबा इलाके में रहने वाली फातिमा अख्तर आपी और मुहम्मद अबू तालेब को पकड़ा। पूछताछ के बाद जब आपी के घर पर छापेमारी की गई तो वहां से 7,34,50,000 रुपये की नकली भारतीय करेंसी और बरामद हुई। ये सारी नकली नोट 500-500 रुपये के थे। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर मामले की जानकारी भारत सरकार को दी गई। उसी के बाद गृह मंत्रालय ने मामले की जांच का जिम्मा एनआइए को दिया।

आपी और तालेब से एनआइए और बांग्लादेशी एजेंसियों की पूछताछ में पता लगा कि उन्हें ये नकली नोट पाकिस्तानी नागरिक सुल्तान और शफी ने दिए थे। इसी के बाद इन्हें पाकिस्तान में आइएसआइ के सहयोग से छापे जाने और उन्हें बांग्लादेश के जरिये भारत भेजने की साजिश का शक पुख्ता हुआ।


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